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जैन - विभूतियाँ
परिषद द्वारा 'साहित्य मनीषी'' तथा आरा (बिहार) से 'सिद्धान्ताचार्य’ जैसी उपाधियों से सम्मानित किया गया। आप रॉयल एशियाटिक सोसायटी लंदन एवं जर्मन केसरलिंग सोसाईटी के सदस्य रहे हैं। देश और विदेश की अनेक संस्थाओं और संगठनों के आप सम्माननीय सदस्य रहे हैं। दिल्ली में आयोजित विश्व शाकाहार सम्मेलन के आप स्वागत मंत्री थे ।
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विश्वप्रसिद्ध दार्शनिक आचार्य रजनीश, महापण्डित अगरचन्द नाहटा, डॉ. कृष्णदत्त वाजपेयी, श्री आदीश्वर प्रसाद जैन, केन्द्रीय मंत्री श्री प्रकाशचन्द्र सेठी तथा देश के अनेक विद्वान, साहित्यकार तथा समाजसेवी अलीगंज पधारकर आपके द्वारा आयोजित 'वेदी प्रतिष्ठा महोत्सव' में सम्मिलित हुए तथा महोत्सव के सभी सत्रों में सत्य, अहिंसा तथा धर्म पर उल्लेखनीय प्रवचन हुए। हजारों श्रोताओं ने मुक्तकंठ से अनुशंसा कर धर्म लाभ लिया। 17 मई, 1964 को आप णमोकार महामंत्र का उच्चारण करते हुए महायात्रा पर चले गए। व्यक्तित्व और कृतित्व के सार्थक अवदान के लिए समग्र जैन समाज बाबू कामता प्रसाद का चिर ऋणी रहेगा।