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जैन - विभूतियाँ
पानी में फेंकने के सिवाय अन्य कोई चारा नहीं था । ज्यों ही जहाज कोलकता पहुंचे डॉ. राय ने सिंघीजी को गले लगा लिया। बीस हजार निराश्रितों की आँखों से प्रकट होता आभार पाकर सिंघीजी का सीना गर्व से फूल गया।
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सिंघीजी की जिस कार्य के लिए देशभर में राष्ट्रीय स्तरीय छवि बनी वह था परिवार नियोजन का प्रचार-प्रसार । इस अपूर्व विचार व कार्य को पूर्णत: समर्पित दो-चार लोग ही हुए हैं। संवत् 2005 में पहली परियोजना क्लीनिक खुली - मातृ सेवा सदन अस्पताल के भवन में। कहते हैं पहले सात महीनों में मात्र दो स्त्रियां सलाह लेने आई । पर सिंघीजी ने हार न मानी, दर्जनों लेख लिखे, पेम्पलेट छपवा कर वितरित किए, घरों और फक्ट्रियों में जाकर प्रशिक्षण की व्यवस्था करवाई। उनकी लिखी 'राष्ट्र योजना और परिवार योजना' पुस्तक बेहद लोकप्रिय हुई। नियोजन सम्बंधी एक पत्रिका का नियमित प्रकाशन किया। परिवार नियोजन संघ की स्थापना उन्होंने ही की थी। पन्द्रह वर्षों तक वे इस संघ के उपाध्यक्ष रहे। इसी हेतु जापान, थाईलैंड, इंग्लैण्ड, फ्रांस, डेनमार्क, स्वीडन, अमरीका, नाईजेरिया, ट्यूनिशिया, चिली, सूरिनाम आदि देशों की यात्राएं की।
शिक्षा प्रसार में सिंघीजी की भूमिका और भी महत्त्वपूर्ण रही । कोलकाता स्थित नोपानी विद्यालय, बालिका शिक्षा सदन, टांटिया हाई स्कूल, शिक्षायतन कॉलेज, पारिवारिकी आदि संस्थाएं उनके निर्देशन से उपकृत हुई। पारिवारिकी सुशीला जी द्वारा स्थापित झुग्गियों में रहने वाले बच्चों का सबसे बड़ा स्कूल है जहां 700 बच्चे निःशुल्क शिक्षा, दोपहर का भोजन, पुस्तकें एवं ड्रेस मुफ्त पाते हैं। जयपुर के कानोड़िया महिला महाविद्यालय, मुकन्द गढ़ के शारदा सदन, रांची के विकास विद्यालय आदि के संचालन व विकास में भी सिंघीजी का प्रमुख हाथ था।
सामाजिक एवं धार्मिक सुधार-आन्दोलनों में उन्हें साम्प्रदायिक व कट्टर परम्परावादी तत्त्वों की प्रताड़ना व प्रहार भी कम नहीं सहने पड़े। परदा विरोधी प्रदर्शनों में धरना और सत्याग्रह भी शामिल थे । इन प्रदर्शनों में प्रदर्शकों पर पत्थर बरसाये जाते, थूका जाता, अपमानित किया जाता, महिला प्रदर्शनकारियों के कपड़े तक फाड़ दिए जाते । परन्तु सिंघीजी ने हार