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जैन-विभूतियाँ पं. फतेहचन्द ने जैन धर्म की प्रभावना एवं प्रसार हेतु अनेक ग्रंथों की रचना की जिनमें 24 गुजराती भाषा एवं 2 अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित हुए। "सहज समाधि'' उनका अत्यंत लोकप्रिय ग्रंथ बन गया। इसमें उन्होंने अंतर्मुखी होकर आत्मज्ञान पाने हेतु योग पद्धतियों की चर्चा की है। सन् 1901 में प्रकाशित इस ग्रंथ का अंग्रेजी अनुवाद श्री हर्बर्ट बोर ने सन् 1914 में प्रकाशित किया। "दिव्य ज्योति दर्शन', 'स्वानुभव दर्पण, श्रमण नारद, Gospel of Man, आत्मबोध आदि उनकी अन्य लोकप्रिय रचनाएँ हैं। पं. फतहचन्द का व्यक्तित्व एक ध्येयनिष्ठ जीवन का मूर्तरूप था। जैन समाज के लिए वह अनुकरणीय एवं प्रेरणास्रोत बना रहेगा।
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