SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 197
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन-विभूतियाँ 173 44. श्री जुगलकिशोर मुख्तार (1877-1968) जन्म : सरसावा (सहारनपुर), 1377 पिताश्री : चौधरी नत्थूमल अग्रवाल माताश्री : भोईदेवी सृजन : मेरी भावना, युग भारती, ग्रंथ परीक्षा (चार भाग), जैनाचार्यों एवं जैन तीर्थंकरों में शासन भेद, स्वामी समन्तभद्र, रत्नकरण्ड, श्रावकाचार, समीचीन धर्मशास्त्र, जैन साहित्य और इतिहास, युगवीर ग्रंथावली (2 खण्ड) सन्मति सूत्र और सिद्धसेन सम्पादन : जैन गजट, जैन हितैषी, अनेकान्त दिवंगति : 1968 20वीं शताब्दी में जैन संस्कृति, साहित्य एवं समाज की तनमन-धन से निष्ठापूर्वक सेवा कर अपने जीवन को धन्य मानने वाले मूर्धन्य साहित्यकार एवं समालोचक श्री जुगल किशोर मुख्तार सचमुच 'युगवीर' थे। प्राच्य विद्या के इस संशोधक, सम्पादक एवं लेखक के सुयश की सुगंध से दिग्-दिगन्त सुवासित हुआ। ईसा की दूसरी शदी में हुए महान् जैनाचार्य सामन्तभद्र के साहित्य एवं जीवन को अपने अध्यवसाय, सतत शोध-खोज एवं लगन से प्रकाश में लाकर आपने जैन समाज का बहुत उपकार किया। सहारनपुर जिले के सरसावा ग्राम में चौधरी नत्थूमल अग्रवाल की धर्मपत्नि श्रीमती भोईदेवी की कुक्षि से सन् 1877 में एक बालक का जन्म हुआ। नामकरण हुआ-जुगल किशोर। पाँचवे वर्ष से बालक का शिक्षण उर्दू-फारसी मदरसे से आरम्भ हुआ। तदनन्तर हकीम उग्रसेन की पाठशाला में हिन्दी और संस्कृत का अभ्यास भी किया। बालक की विलक्षण धारणा शक्ति एवं तर्कशक्ति से सभी चकित थे। ग्राम के पोस्टमास्टर के पास वे अंग्रेजी सीखने भी जाते। प्रारम्भिक शिक्षा के बाद उन्होंने सहारनपुर हाई स्कूल में दाखिला लिया। मेट्रिक पास की।
SR No.032482
Book TitleBisvi Shatabdi ki Jain Vibhutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangilal Bhutodiya
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year2004
Total Pages470
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy