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________________ जैन-विभूतियाँ 171 सक्रिय सहयोग दिया तथा कुछ वर्षों तक वहाँ अध्यापन कर अपनी सेवाएँ भी दीं। आप ही की प्रेरणा व प्रयास से उदयपुर विश्वविद्यालय में जैनोलोजी तथा नाथद्वारा कॉलेज में वैष्णवोलोजी का शिक्षण, शोध व विकास कार्य प्रारम्भ हुए। राजस्थान हिस्ट्री काँग्रेस की स्थापना में भी आपका अमूल्य योगदान रहा। स्वयं इतिहास प्रेमी होने के कारण आपने इसके अधिवेशनों में शोधपत्र पढ़े। __ आपने दिल्ली विश्वविद्यालय तथा राजस्थान के अधिकारी प्रशिक्षण विद्यालय में राजस्थान के आदिवासियों तथा अन्य सामयिक विषयों पर भाषण दिये। जब मेहता जी व्यास मंत्रिमण्डल में उद्योग, खनिज एवं विकास मंत्री थे तब उन्होंने वर्षों से खनिज भूखण्डों पर एकाधिकार जमाए पूँजीपतियों को बेदखल कर मध्यम एवं निम्न वर्गीय उद्यमियों को विकास का समुचित अवसर दिया था। विकेन्द्रीकरण की इस नीति के निष्पादन से उन्होंने अनेक केन्द्रिय एवं काँग्रेस के शीर्ष नेताओं को नाराज कर दिया था। परिणामत: उन्हें अगले चुनावों में राज्यसभा का टिकट नहीं मिला। काँग्रेस पार्टी में भाई भतीजावाद के चलते द्वितीय लोकसभा के चुनाव में भी उन्हें टिकट नहीं मिला। ईमानदारी एवं सत्यनिष्ठा के अवमूल्यन के कारण शासकीय राजनीति से उनका मोह भंग हो गया। वे पूर्णत: आम आदमी की सेवा एवं वनवासी और आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा प्रसार एवं सामाजिक बुराइयों के खिलाफ अभियान को समर्पित हो गए। शारीरिक अशक्तता के बावजूद भारत के स्वतंत्रता संग्राम का यह पुरोधा मरते दम तक संधर्षरत रहा। ___31 जनवरी, 2003 की रात्रि में 103 वर्षों की उपलब्धियों से सम्मानित इस संघर्षशील महामना का उदयपुर में देहावसान हुआ। उनकी शतायु पूर्ति पर लोकसभा में निम्न उल्लेख द्वारा उनका अभिनन्दन वर्तमान भारत के इतिहास में स्वर्णाक्षरों से अंकित रहेगा। Reference Re : Birth centenary of Sri Balwantsingh Mehta ___Mr. SPEAKER : Hon. Members, I am happy to inform the Members that Sri Balwantsingh Mehta, who is one of the few
SR No.032482
Book TitleBisvi Shatabdi ki Jain Vibhutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangilal Bhutodiya
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year2004
Total Pages470
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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