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________________ जैन-विभूतियाँ 167 मेहता को उदयपुर व इहवाल की जेलों में रहना पड़ा। राज्य एवं केन्द्रिय सरकार के गुप्तचर बराबर उनके पीछे लगे रहते थे। लोग राजनैतिक संस्था को चन्दा देने से कतराते थे। ऐसे विकट समय में आपने अपनी धर्मपत्नि के गहने गिरवी रखकर प्रजामण्डल की गतिविधियाँ संचालित की। सन् 1947 में भारत स्वतंत्र हुआ। सन 1948 में भारतीय संविधान में निर्माणार्थ 12 प्रांतों एवं 70 देशी रियासतों के 299 प्रतिनिधियों की संविधान निर्मात्री सभा गठित हुई, जिसमें राजस्थान का प्रतिनिधित्व करने के लिए मास्टर बलवंतसिंह मेहता एवं लोकनायक माणिक्यलाल वर्मा का मनोनयन हुआ। ___ श्री बलवंतसिंह मेहता ने भारतीय संविधान सभा में राजस्थान के हितों को प्रमुखता दी एवं राष्ट्रीय दृष्टिकोण अपनाते हुए भारतीय संविधान की रचना में भी महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। कट्टर सर्वोदयी व गाँधी अनुयायी होने के कारण आपने सदैव दलितों, पतितों व पिछड़ों के विकास एवं उन्नयन के लिए संविधान में समुचित प्रावधानों का समावेश कराया। ग्राम पंचायतों को सबल व सुदृढ़ बनाते हुए आपने गाँधीजी के ग्राम स्वराज को साकार रूप देने के लिए भी अथक प्रयास किये। खादी ग्रामोद्योगों के विकास तथा कुटीर उद्योगों के विस्तार के बिना देश के करोड़ों लोगों का जीवन स्तर ऊँचा उठाना, उन्हें स्वावलम्बी बनाना और उनके सम्मानपूर्ण जीने की कल्पना करना ही व्यर्थ है। ये उद्गार उनके भारतीय संविधान में दिये गये भाषण से स्पष्ट हैं। श्री मेहता प्रारम्भ से ही कर्तव्यनिष्ठ, नि:स्वार्थी, सच्चे, साहसी और स्पष्टवादी रहे। उन्होंने न तो कभी किसी के समक्ष झुकना स्वीकार किया और न ही सिद्धान्तों से समझौता किया। अपनी बात कहने से भी वे कभी नहीं हिचकिचाए, चाहे वह व्यक्ति देश का कितना ही बड़ा गर्णधार क्यों न हो। ___ सरदार पटेल ने राजस्थान का एकीकरण तो करवा दिया किन्तु आबू पर्वत को अलग रखकर। श्री मेहता को यह नागवार लगा। उन्होंने संविधान सभा के ऐतिहासिक भाषण में आबू पर्वत को राजस्थान में मिलाने की जोरदार वकालत की और कहा कि राजस्थान में 'सिरोही' को तलवार कहते हैं और
SR No.032482
Book TitleBisvi Shatabdi ki Jain Vibhutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangilal Bhutodiya
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year2004
Total Pages470
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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