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जैन-विभूतियाँ 36. श्री अर्जुनलाल सेठी (1880-1941)
जन्म : 1880, जयपुर पिताश्री : जवाहरलालजी सेठी
माताश्री : पांचो देवी
दिवंगति : 1941, अजमेर
राजस्थान में स्वतंत्रता आन्दोलन के पितामह और जैन जागरण के अग्रदूत थे श्री अर्जुनलालजी सेठी।
सेठीजी के पितामह भवानीदासजी दिल्ली रहते थे। मुगल सल्तनत के अंतिम बादशाह बहादुरशाह जफर' का शासनकाल था। भवानीदासजी के शहजादों के साथ मैत्री सम्बंध थे। सन् 1845 में उन्होंने एक स्वप्न देखा-स्वप्न में कोई उनसे दिल्ली छोड़ने का आग्रह करने लगा। तब तक प्रथम पत्नि और बच्चे का निधन हो गया था। वे दिल्ली छोड़कर जयपुर आ बसे। उनकी द्वितीय पत्नि से जवाहरलालजी का जन्म हुआ। वे जयपुर राज्य के चोमू ठिकाने के कामदार और कौंसिल के सेक्रेटरी नियुक्त हुए।
जवाहरलालजी की धर्मपत्नि की रत्नकुक्षि से सन् 1881 में अजुर्नलालजी का जन्म हुआ। सन् 1902 में उन्होंने लखनऊ से स्नातकीय परीक्षा पास की। वहीं उनमें समाज सेवा के अंकुर उत्पन्न हुए। ब्रह्मचारी शीतलप्रसाद घर पर भोजन कराने की भावना से बाहर से आए जैन परीक्षार्थियों को खोजते फिर रहे थे। सेठीजी के हृदय पर इस वात्सल्य भाव का बहुत असर हुआ। उसी वर्ष पिताजी की मृत्यु से उन्हें चोमू ठिकाने का कामदार पद संभालना पड़ा। वहाँ आए एक अंग्रेज अफसर के 'गँवार' कह देने से सेठीजी के हृदय पर अंग्रेजी राज्य-द्रोह का प्रथम इंजेक्शन लगा। ठिकाने की बेगार प्रथा और किसान-मजदूरों