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जैन-विभूतियाँ
127 बाबूजी विदिशा की राजनैतिक एवं सांस्कृति चेतना के प्रकाश स्तम्भ थे। उनका बहुआयामी व्यक्तित्व राज्य विकास के हर क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ गया। दलितों, आदिवासियों एवं किसानों के तो वे मसीहा ही थे। खादी, ग्रामोद्योग, गोसेवा एवं हरिजनोद्धार के कार्यों में वे सदा सेवारत रहे। राज्य की अनेक शिक्षण संस्थाओं के वे अध्यक्ष/उपाध्यक्ष एवं संस्थापक थे। सबसे बढ़कर था उनका सबके प्रति सौहार्द्र, सौजन्य और स्नेह । सं. 2033 में यह निरन्तर गतिशील व्यक्तित्व सदा के लिए सो गया।
आपके सुपुत्र श्री राजमल जी विधि अधिवक्ता हैं। आपने भी विदिशा नगरपालिका का अध्यक्ष पद सुशोभित किया है। प्रदेश की विभिन्न रचनात्मक प्रवृत्तियों में आपका सदा सराहनीय योगदान रहा है। आप राष्ट्रीय काँग्रेस कमेटी के सदस्य एवं विदिशा जिला काँग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं।