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________________ 108 जैन-विभूतियाँ 27. श्री पूरणचन्द्र नाहर (1875-1936) जन्म : अजीमगंज, 1875 पिताश्री : रा.ब. सिताबचन्द नाहर माताश्री : गुलाबकुमारी देवी शिक्षा : एम.ए.; वकील दिवंगति : कोलकाता, 1936 __ श्री पूरणचन्द्रजी नाहर का जन्म सन् 1875 की वैशाख शुक्ला दशमी को अजीमगंज (मुर्शिदाबाद) में हुआ था। आपके पिता रायबहादुर सिताबचन्दजी नाहर ओसवाल समाज के सुप्रतिष्ठित धर्म एवं विद्या प्रेमी जमींदार थे। नाहरजी ने एन्ट्रेन्स तक की शिक्षा अपने पितामही के नाम पर पिताजी द्वारा स्थापित 'बीबी प्राण कुमारी जुबिली हाईस्कूल''. में पाई थी। 1895 में आपने प्रेसिडेन्सी कौलेज, कोलकाता से बी.ए. पास किया। आप बंगाल के जैनियों में सर्वप्रथम ग्रेजुएट हुए थे। तत्पश्चात् आपने कानून का अध्ययन किया एवं पाली भाषा में कलकत्ता यूनिवर्सिटी से एम.ए. की डिग्री प्राप्त की। आपने कुछ दिन बरहमपुर (मुर्शिदाबाद) की जिला अदालत में वकालत भी की। तत्पश्चात् सन् 1914 में कलकत्ता हाईकोर्ट में एडवोकेट हुए। आप कुछ दिन तक औनरेवल मिस्टर भूपेन्द्रनाथ बसु सौलीसीटर के पास आर्टिकल क्लर्क रहे। इस समय आपको साहित्य एवं पुरातत्त्व से प्रेम हुआ एवं आइनजीवी का कार्य छोड़कर आपने अध्ययन एवं प्राचीन वस्तुओं की खोज तथा संग्रह में ही समय लगाना शुरु किया। आप सार्वजनिक कार्यों में भी भाग लेते थे। बहुत दिनों तक आप बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के कोर्ट में श्वेताम्बर जैनियों की ओर से प्रतिनिधि रहे। सर आशुतोष मुखर्जी की प्रेरणा से कलकत्ता विश्वविद्यालय में मैट्रिक, इन्टरमीजियट और बी.ए. कक्षाओं की हिन्दी परीक्षाओं के आप परीक्षक नियुक्त हुए। यह सब अनायास हुआ। नाहरजी की हिन्दी में पेठ नहीं
SR No.032482
Book TitleBisvi Shatabdi ki Jain Vibhutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangilal Bhutodiya
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year2004
Total Pages470
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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