________________
जैन-विभूतियाँ
107 लोगों को व्यसनमुक्त जीवन के लिए संकल्पबद्ध किया और सैकड़ों गाँवों व संघों में परस्पर प्रेम, संगठन व सद्भावना के सूत्र जोड़े।
सम्पूर्ण मानव जाति के कल्याण हेतु तथा श्रमण संघ के अभ्युदय के लिए समर्पित आचार्य सम्राट श्री देवेन्द्र मुनि साधना की तेजस्विता, जीवन की पवित्रता, बौद्धिक प्रखरता, चिन्तन की उत्कृष्टता, विचारों की उदारता और व्यवहार की विशुद्धता के लिए सर्वदा अविस्मरणीय रहेंगे।