________________
बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - १ चकित रह गया एवं हमेशा के लिए लालुभा का गाढ मित्र बन गया।
... एक बार लालुभा अपनी बेटी की सगाई के लिए कच्छ के एक गांवमें गये थे । वहाँ समधी उनको अपना खेत दिखाने के लिए ले गये। वापस लौटते समय सूर्यास्त हो जाने से उन्होंने अपने समधीके घरमें भी रात्रिभोजन नहीं किया ।
नवकार एवं धर्म के प्रति दृढ निष्ठा के कारण से लालुभा के जीवनमें कई चमत्कारप्रद घटनाएं हुई हैं जिनमें से कुछ घटनाएँ यहाँ दी जाती हैं। - (१) खूनकी उलटी बंद हुई : दैनिक नित्यक्रम के अनुसार लालुभा मौनपूर्वक सामायिक में थे, तब उनके घरमें आये हुएं भानजे को अचानक खून की उलटी होने से घर के सभी लोग बहुत गबरा गये, और लड़के को अहमदाबाद की किसी अस्पताल में भरती करवाने की तैयारी करने लगे । तब नवकारनिष्ठ लालुभाने मौन के कारण केवल इशारा करके अचित्त जल मंगाया एवं एक पक्की नवकारवाली (१०८ नवकार) का जप करके उस नवकारवाली (माला) को पानीमें डाल दी। कुछ देरके बाद उसको बाहर निकालकर भानजे को वह पानी पिला दिया । लहूकी उलटी बंध हो गई । अस्पतालमें जाने की जरूरत ही न रही । .
(२) सर्प का जहर उतर गया : ट्रेन्ट गाँव के एक युवक को खेतमें विषैले सर्पने डंक मारा । युवक मूर्छित होकर जमीन पर गिर पड़ा। उसके माँ-बाप उसे बैलगाडी में रखकर आक्रंद करते हुए लालुभा के पास आये एवं अपने बेटे को बचाने के लिए विज्ञप्ति करने लगे । दयालु लालुभाने अपने गुरुदेवका स्मरण करके उपरोक्त प्रकार से नवकार महामंत्र से अभिमंत्रित जल उस मूर्छित युवक के मुंह पर छिड़का एवं तुरंत वह लड़का जैसे निद्रामें से जाग्रत हो रहा हो उसी तरह उठकर खड़ा हो गया एवं चलने लगा । विष उतर गया था । युवक के माँ बाप आश्चर्य एवं अहोभाव के साथ कृतज्ञता व्यक्त करते हुए लालुभा को पैसे देने लगे । नि:स्पृह लालुभाने एक पैसा भी न लेते हुए उस रकम को जीवदया में सदुपयोग करने की प्रेरणा दी।