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१९४ गच्छाधिपति श्री की अनुमोदनीय क्रियानिष्ठता आदि ! ............. १९५ वंदनीय क्रियापात्रता !.
.............४५८ १९६ ३४ वर्षीतप एवं लोगस्स आदि का ९ - ९ लाख जाप ! ..... १९७ संलग्न चौविहार ३३ वर्षीतप के आराधक उपाध्याय श्री !
....................४६२ १९८ संलग्न ३१ वर्षीतप के आराधक सूरिवर !....
४६२ १९९ प्रथम राख बहोराने पर पारणे का अभिग्रह ! .........
..........४६३ २०० लगातार २०१ उपवास के तपस्वी सम्राट् ! ...............
........४६५ २०१ लगातार १०८ उपवास एवं ५०० अछाई के तपस्वी !.....
४६७ २०२ गुणरत्न संवत्सर तप के भीष्म तपस्वी !... २०३ करियाता में भीगी रोटी से ५२ आयंबिल !.
...........४७२ २०४ ३० वें उपवास में केशलोच ! ...... .. २०५ तपस्वी गुरु-शिष्य की जोड़ी ............... २०६ अद्भुत ज्ञान पिपासा, विशिष्ट स्मरणशक्ति !......... २०७ २० वर्ष के परिश्रम से 'द्वादशार नयचक्र' ग्रंथ का संपादन !.......... २०८ केवल ६ दिन में दशवकालिक सूत्र कंठस्थ !..
४८१ २०९ १२ वर्ष में ४२५ संस्कृत-प्राकृत ग्रंथोंका अध्ययन !..... ...... ......४८१ २१० संस्कृत अध्ययन के लिए रोज १२ मीलका विहार ! .............
........४८३ २११ विहार में ८५ वी ओली के साथ रोज ४ वाचनादाता !................ २१२ युवा प्रतिबोधक पदस्थ त्रिपुटी ............
...........४८५ २१३ आजीवन मौनव्रत !................
........... ४८६ २१४ २४ वर्ष से मौन के साथ साधना ! ......... २१५ गुरु आज्ञा पालन का बेजोड़ आदर्श ............
........४८७ २१६ रोज २-३ घंटे खड़े रहकर वंदना गर्दा - अनुमोदना !. २१७ पांच ही द्रव्यों से आजीवन एकाशन ! .......
............४९० २१८ अपरिचित प्रदेश... उग्रविहार... निर्दोष गोचरी !............. २१९ शुद्ध गोचरी के अभाव में ३ - ३ उपवास !.......... ..............४९१ २२० चाय - दूध - खाखरे से नित्य एकाशन !..
.........४९२ २२१ परिणतिलक्षी साधुता !..........
........४९२ २२२ दीक्षा की खदान, नाम लिया जान ?........
....... ४९४ २२३ सपरिवार और सामूहिक संयम स्वीकार !... २२४ कंबली के कालपूर्व उपाश्रय प्रवेश का नियम !
........४९८ २२५ धन्य है इस महाकरुणाको !...
........४९८ २२६ अनुमोदनीय सरलता और पापभीरुता !............ २२७ अविधिकी असचि, संयम की कट्टरता !..
..........४९९ २२८ ओपरेशन में भी आधाकर्मी अनुपान त्याग !......
.....४९९ २२९ झूठे मुँह से बोलने पर २५ खमासमण !.
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