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१६१ विवाह होने के बावजूद भी आबाल ब्रह्मचारिणी !..... १६२ "मुझे औदारिक देहधारी के साथ शादी नहीं करनी !".............. ३७८ १६३ दीक्षा ग्रहण करती हुई आठ सगी बहनें !....... १६४ १८० उपवास... एक ही द्रव्य से ठाम चौविहार ५०० आयंबिल !. .. ३८२ १६५ अठ्ठम तप के साथ ७ छ'री संघों में पदयात्रा ! १६६ १ से ८ उपवास द्वारा कुल ४८ वर्षीतप !... ........ ..... १६७ अवाई एवं सोलहभक्त से वर्षीतप !........... १६८ १५० अठ्ठाई ! ११०८ से अधिक अठुमतप आराधिका ! .. १६९ अप्रमत्त तपस्विनीरत्न.... १७० अप्रमत्त तपस्विनी .. .. १७१ १०८ अठ्ठाई - २ बार १०८ अठ्ठम !...
........३९४ १७२ प्रतिदिन १२ कि.मी. की दूरी पर जिनपूजा के लिए !............. १७३ रनकुक्षि आदर्श श्राविकारत्न . .. १७४ अहिंसा की देवी.... १७५ बीमार कबूतरों की सेवा करती हुई सुश्राविका............ १९६ शत्रुजय महातीर्थ की २५ बार ९९ यात्रा .......... १७७ सास-ससुर की अद्भुत सेवा करती देवरानी-जेठानी .... १७८. 'माता हो तो ऐसी हो' !............. १७९ सिद्धाचलजी महातीर्थ में भवपूजा ..............
४१२ १८० लगातार १००८ अठ्ठम !.. १८१ साधर्मिक भक्ति एवं ऋणमुक्ति का उत्तम दृष्टांत .... .... १८२ कर्मों के सामने युद्ध ! ......
४१८ १८३ प्रतिदिन ८ सामायिक + २ प्रतिक्रमण !....
....................४२० "बहुरत्ना वसुंधरा" तीसरा ...............
.. ४२३. यम + नियम = संयम, संयमी को नमो नमः (प्रस्तावना ).....४२४ १८४ १०० + १०० + ८९ ओली के 'तपस्वी सम्राट्' सूरिराज !........ १८५ भीषण कलिकाल में रहते हैं एक धन्ना अणगार !. ... .....४३१ १८६ महा तपस्वीरत्न सूरीश्वरजी .. १८७ २५० चौविहार छछ - प्रत्येक छठ में सात-सात यात्राएं !.. १८८ लगातार ३३ घंटे तक ध्यानमुद्रा में स्थिरता ! ......... १८९ अध्यात्मयोगी आचार्य भगवंतश्री ...... .. .... १९० सिद्धगिरि आदि के प्रत्येक प्रभुजी को ३ - ३ खमासमण !. १९१ सिद्धगिरि और अहमदाबाद के प्रत्येक प्रभुजी समक्ष चैत्यवंदना !..... १९२ यथार्थनामी गच्छाधिपतिश्री की गुण-गरिमा ...... १९३ गच्छाधिपतिश्री के प्रेरक प्रसंग......
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