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mernam......बाद
२० रोज जिनदर्शन-पूजा करनेवाले रीजुमलजी.....खत्री-पुलिस ५६ २१ जैन धर्म एवं मातृसेवा के लिए अविवाहित पप्पुभाई ......... सरदारजी ५७ २२ अमृतलालभाई राजगोर का हृदय पस्विर्तन.... . ......ब्राह्मण ५९ २३. श्रीफल की प्रभावना के निमित्त ने शिवप्पा को सूरि बनाया ...लिंगायत ६१ २४ दिलीपभाई मापारी का वीतरागता के प्रति प्रस्थान .. .... ब्राह्मण ६३ २५ ११ सालकी उसमें एकाशन के साथ लाख नवकार ! लक्षेशकुमार.. भावसार ६७ २६ सेवाभावी स्वातंत्र्य सैनिक वैद्यराज अनुप्रसादभाई.............. नाई ६९
सत्संग से कबीरपंथी बाबुलालमाई का जीवन परिवर्तन .... ... जुलाहा ७० २८ प्रोफेसर पी.पी.राव की जैनधर्म के प्रति दृढ श्रद्धा.... २९ वर्धमान तप की नींव डालनेवाले पेईन्टर बाबुभाई राठोड़ ...... महाराष्ट्रीयन ७३ ३० पांच तिथि कपड़े नहीं धोते हुए रामजीभाई..............धोबी ७४ ३१ छरी पालक संघ के संघपति बनते हुए कांतिलालमाई......... लोहार ७६ ३२ साधु-साध्वीजी की वैयावच्च करते हुए मूलजीभाई मास्टर ......... हरिजन ७६ ३३ साधु सेवाकारी शिवाभाई...
.....................कोली ७७ __वर्धमान तप की नींव डालने वाले पंडितश्री वैद्यनाथजी मिश्र..... ब्राह्मण ७८ ३५ जीवदया के खातिर व्यवसाय में परिवर्तन ! गणपतभाई......लोहार ७९ ३६ मासक्षमण आदि के आराधक सुखाभाई ... ....... पटेल ८१ ३७ साधुसेवा और सामायिक के आराधक विजयभाई. .............दरबार ८१ ३८ साधु सेवाकारी डॉक्टर घनश्यामसिंहजी ........ .................. राजपूत ८२ ३९ नवकार महामंत्र के आराधक बहादूरसिंहजी जाडेजा... ....... राजपूत ८३ ४० जैन पाठशाला के शिक्षक लाधुसिंहजी सोलंकी ................... राजपूत ४१ ८ साल की उम्रमें ८२ दिनका धर्मचक्रतप ! योगीन्द्रकुमार ....... राजपूत ८४ ४२ 'कम्मे शूरा सो धम्मे शूरा' हठीजी दीवानजी.
....... ठाकोर ८५ ४३ तीन उपधान के आराधक धर्माजी गायकवाड़.... ......मोची ८७ ४४ छोटालालभाई बने मुनिराजश्री कल्पध्वजविजयजी ........... ब्राह्मण ८८ ४५ सत्संग के प्रभाव से मोची मुनि बने -प्रभुदासभाई. .........मोची ९० ४६ एक ही प्रवचन से सचित्त पानी का आजीवन त्याग-सायवना .... मारुति ४७ साधु-साध्वीजी की अपूर्व भक्ति करते हुए दरबार............ राजपूत ९३ ४८ प्रत्येक पूर्णिमा के दिन शंखेश्वर की यात्रा-कृष्ण मनुस्वामी .... मद्रासी ब्राह्मण ९४ ४९ वर्षीतप आदि के तपस्वी साहेबसिंहजी जाडेजा. .. ..... क्षत्रिय ९५
प्रत्येक पर्युषण में अाई तप के आराधक सुरेशभाई... ...... नाई ९५ ५१ दरजी पिता-पुत्री की कठोर तपश्चर्या-भीखाभाई............... दरजी ९७
मासक्षमण और सिद्धितप के आराधक रमेशभाई.................मोची ९८ ५३ दो मासक्षमण-२० अठाई के तपस्वी, ब्रह्मव्रतधारी मोहनभाई...... मोची ९९ ५४ जिनबिम्ब भरानेवाले भाणजीभाई...
प्रजापति १०० ५५ प्रभुदर्शन के बिना पानी की बूंद भी नहीं ! बिपीनभाई.......... पटेल १०१
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