________________ आत्मगृह के चार द्वार एक सभागृह के चार द्वार हैं / प्रथम दो द्वार क्रमश: सज्जनों और दुर्जनों को आने के लिये हैं / तीसरा और चोथा द्वार क्रमशः उन दोनों को बाहर निकलने के लिए है / अब इन चार द्वारमें से प्रथम (सज्जनों को आनेका) और चौथा (दुर्जनों को जानेका) द्वार सदा बंद रहते हों और बाकी के दो द्वार खुले रहते हों तो........ परिस्थिति क्या होगी ? हमारे आत्मगृह में भी चार द्वार हैं / दो द्वार सद्गुणों को आने जाने के लिए और दो दुर्गुणों की यातायात के लिए / अन्य जीवों के सद्गुण एवं सुकृतों की प्रशंसा - अनुमोदना, सज्जन जैसे सद्गुणों का प्रवेशद्वार (Entrance) है / अन्य जीवों के दोष एवं दुष्कार्यों की निंदा (परनिंदा) दुर्जन जैसे दुर्गुणोंका प्रवेश द्वार है। स्वगुण एवं स्वसुकृतों की प्रशंसा यह सद्गुणों का निर्गमन द्वार (Exit) है / स्वदोष और स्वदुष्कार्यों की निंदा - गर्हा - आलोचना यह दोषों का निर्गमन द्वार है / प्रथम और चौथा द्वार बंद रखना और दूसरा एवं तीसरा द्वार खुल्ला रखना यह हमारी अनादि की चाल है..... और इस आत्मगृह की हालात कैसी दयाजनक हो गयी है !!! क्या यह हमसे अज्ञात है ? 8800 34550 SHOVASNACCORCOMMAR ॐ 205 HORMACAREAKS ॐ