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________________ 596 बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - 3 आपको बहुत भाग्यशाली मानता हूँ / परमात्मा के एवं चतुर्विध श्री संघ के दर्शन-वंदन वाणीश्रवण का अनमोल अवसर मिलेगा, इसलिए मैं जरूर आनेकी कोशिश करूँगा / (दृष्टांत नं. 104 - भोगीलालभाई शाह (गोधरा-कच्छ)) - आपने मेरे जैसे सामान्य आदमी का दृष्टांत किताब में प्रकाशित करके मेरे जीवन में कुछ भी अघटित करने से अटकने की एवं उत्तम गुणों को विकसित करने की जो प्रेरणा दी है उसके लिए मैं आपका अत्यंत ऋणी हूँ। क(दृष्टांत नं. 50 - नाई सुरेशभाई पारेख (नार-गुजरात)) मेरे जैसे तुच्छ अजैन आदमी को आपने 'बहुरत्ना वसुंधरा' में स्थान दिया है उसके लिए मैं आपका बहुत बहुत ऋणी हूँ / इस को मैं कैसे उतार सकुं, इसके लिए कृपया मार्गदर्शन दें / मैं जरूर उतारने की कोशिष करूँगा / (दृष्टांत नं. 55 - बिपीनभाई पटेल (बारडोली-गुजरात)) 301|| बहुरत्ना वसुंधरा भाग-३ के दृष्टांत-पात्रों के नाम प्रस्तुत किताब के भाग-३ के दृष्टांत पात्रों का निर्देश दृष्टांतोंमें सांकेतिक रूप से दिया गया है, मगर अनेक पाठकों की विज्ञप्ति को ध्यान में रखते हुए यहाँ पर उन दृष्टांत पात्रों के एवं उनके गुरु या गच्छाधिपति के नाम व्युत्क्रमसे प्रस्तुत किए जा रहे हैं / दृष्टांत नं. 224 से 259 तक के दृष्टांत पूज्यपाद पंन्यास प्रवर श्री चन्द्रशेखरविजयजी म.सा. द्वारा लिखित 'मुनि जीवननी बालपोथी' किताब में से साभार उदृत किये गये हैं, अत: उन दृष्टांतपात्रों के नाम उपरोक्त पूज्यश्री द्वारा ही जिज्ञासु पाठक
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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