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अगम अर्थ अनुमोदना का
अ - अनुमोदना= प्रमोद भावना की प्रस्तुति, किसी के गुणों के दर्शन से मनमें प्रथम मोद हो, फिर प्रमोद और वही मोदना जब गुणों के अनुसरण हेतु, प्रयत्नशील बने, तब जो सर्जन होता है उसे कहते हैं अनुमोदना ।
नु - नुकशानी शून्य शून्य शून्य [०००] जब कि लाभ पूर्ण पूर्ण पूर्ण । ऐसी सिद्धि संप्राप्त हो जाय तो कौन व्यापारी लाभ न लूटे ? इसीलिये तो गुण और गुणीजन की अनुमोदना लाभ लाभ और लाभ
मो - मोक्षका मोदक तभी मिजबानी में मिले जब मोह और स्वार्थ के संसार से पर, व्यामोह के बिना, निःस्वार्थ भाव से साधर्मिक की प्रगति देखकर आत्मा हर्षित हो जाय, प्रशंसा करे, वात्सल्य करे और प्रोत्साहन भी प्रदान करे ।
द - "दंसण भट्ठो भट्ठो' - इसीलिये दर्शन समकित शुद्धि प्रथमावश्यक है । उपाय है, अन्य के सुकृत की उपबृंहणा-अनुमोदना ।। करण, करावण और अनुमोदन, तीनों समफल की प्राप्ति प्रदान करने में समर्थ हैं । चलिये हम भी अनुमोदना करें और प्रेरणा लें ।
ना - नाशवंत जगत में शाश्वत यदि कुछ भी है तो वह है धर्म और धर्मी जन की प्रीति की नीति । यह रीति नास्तिक को भी आस्तिक बनाने में सफला है । अभिनंदन युक्त अभिवंदन हो, अनुमोदन के पवित्र पथिक को ।
अनुमोदन गीत - (राग-आ तो लाखेणी आंगी कहेघाय) गुण उपवन के पुष्प सुहाय, पुष्प हैं रंग रंग के । सुगंधी से गुणी हर्षित हो जाय, प्रेमी जो सत्संग के । (१) कोई दानी स्वमानी इस भूतलपर,
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