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________________ 466 104 2047 अजमर 201 108 बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - 3 2041 मोडलटाउन दिल्ली 2042 प्रीतमपुर दिल्ली 15 2043 सदरबजार दिल्ली : 2044 शक्तिनगर दिल्ली 2045 अशोकविहार दिल्ली 2046 सवाईमाधोपुर राजस्थान अजमेर राजस्थान 2048 जोधपुर राजस्थान 2049 ऊधना-सुरत गुजरात 22 2050 खार-मुंबई महाराष्ट्र 23 2051 पूना महाराष्ट्र 24 2052 सिकंदराबाद आंध्रप्रदेश 127 25 2053 26 2054 बेंगलोर कर्णाटक 365 सं. 2054 के वैशाख में इनकी 360 उपवास की घोर तपश्चर्या बेंगलोर में पूर्ण हुई थी। इतनी दीर्घ तपश्चर्या के दौरान भी वे प्रतिदिन हजारों दर्शनार्थीओंको दो यईम मांगलिक सुनाते थे !... इनके जीवनमें तपश्चर्या के साथ-साथ सौम्यक समता, क्षमा, प्रसन्नता के विशिष्ट गुण दिखाई देते हैं, जो तप के आभूषण के समान गिने जाते हैं। कछ लोग इतनी लम्बी तपश्चर्या को शंका की दृष्टि से देखते हैं। परंतु उनकी अक्सर वैज्ञानिक चिकित्सक जाँच करते रहते थे / इस कारण शंका करने की कोई आवश्यकता नहीं है / उनकी पूर्व के वर्षों की तपश्चर्या की सूचि को देखकर समझा जा सकता हैं, कि अभ्यास से कुछ असंभव नहीं है। समान्यतः वर्तमान में उत्सर्ग मार्ग के रूपमें शारीरिक संहनन के कारण उत्कृष्ट लगातार 180 उपवास की तपश्चर्या की शास्त्रीय मर्यादा है।
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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