________________ बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - 2 409 3888888888888888888888888888888 शत्रुजय महातीर्थ की 25 बार 99 यात्रा करनेवाले / सुश्राविका श्री भचीबाई भवानजी चना 82 साल की उम्र में भी श्री सिद्धाचलजी महातीर्थ की 25 वीं बार पैदल 99 यात्राएँ करनेवाली कच्छ-गोधरा (तह. मांडवी) की सुश्राविका श्री भचीबाई (उ.व. 90) का नाम भले गिनेस वर्ल्ड रेकर्ड बुक में दर्ज नहीं हुआ हो मगर प्रत्यक्षदर्शी हजारों भावुक आत्माओं के हृदयमें तो उनकी मुखमुद्रा हमेशा के लिए अंकित हो गयी है / सचमुच, कर्मक्षय के लिए शरीरबल की बजाय दृढ मनोबल एवं आत्मबल की ही प्रधानता होती है, यह बात भचीमा ने की हुई निम्नोक्त अनुमोदनीय आराधना से सिद्ध होती है / तपश्चर्या : (1) चार मासक्षमण (2) 4 वर्षीतप (3) 35 अठ्ठाई (4) 5 बार 16 उपवास (5) श्रेणितप (6) सिद्धितप (7) बीस स्थानक तप (8) 24 तीर्थंकर के 600 उपवास (9) 96 देव की 4 ओलियाँ (10) 500 आयंबिल (11) वर्धमान तप की 56 ओलियाँ (12) नवपदजी की 25 ओलियाँ (13) 3 उपधान (14) ज्ञानपंचमी-अष्टमी-एकादशी-पूनमअमावास्या -रोहिणी-अक्षयनिधि-१४ पूर्व- समवसरण तप आदि / चातुर्मास में सामूहिक रूपमें होती हुई छोटी-बड़ी प्रत्येक तपश्चर्या में भचीमा का नाम सर्व प्रथम होता है! छ'री' पूर्वक तीर्थयात्राएँ : (1) शत्रुजय महातीर्थ की 25 बार 99 यात्राएँ (2) गिरनारजी महातीर्थ की 99 यात्राएँ (3) श्री समेतशिखाजी महातीर्थ की 99 यात्राएँ (4) तालध्वजगिरि (तळाजा) तीर्थ की 99 यात्राएँ (5) मुंबई से समेतशिखरजी छ'री' संघमें यात्रा (6) समेतशिखर से पालिताना के छ'री' पालक संघमें यात्रा (7) कच्छ-गोधरा से पालिताना के छ'री' संघ में यात्रा (8) बाड़मेर से जेसलमेर (9) भद्रेश्वर तीर्थ के 4 छ'री' पालक संघो में