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बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - २
३५५ था । तीसरे भाई शैलेषभाई की बेटी श्वेता ७वीं कक्षा में थी और सबसे छोटे अजितभाई की बेटी अनिता तो दो साल की ही थी । चारों भाई की एक बहन थी इन्दिराबहन जिसका विवाह मुंबई में हुआ था । उनका पुत्र विशाल भी १०वीं कक्षामें था। इन ११ बालकों को स्कूल की शिक्षा बंद करायी गयी तब प्रारंभ में तो भूकंप जैसी हलचल मच गयी । अधिकांश लोगोंने उत्तमभाई के निर्णय की टीका की और कुछ लोगोंने इस निर्णय की सराहना भी की ।
पिछले डेढ साल से इन ११ बालकों ने पुराना सब भूलकर संस्कृत पढना प्रारंभ किया है । संस्कृत की पढाई करीब पूर्ण होने आयी है, अब प्राकृत पढना प्रारंभ किया है । स्कूल की बजाय घर की ही पाठशाला में प्रतिदिन ८ घंटे तक अध्ययन करते हुए इन बालकों को अध्ययन के साथ में संगीत की शिक्षा भी दी जाती है । इसके अलावा तैरना, घुडसवारी, योगासन इत्यादि की शिक्षा भी उन्होंने ली है । इस सभी विषयों के लिए अलग अलग शिक्षक रखे गये हैं ।
एक सामान्य प्रश्न होने की संभावना है कि संस्कृत और प्राकृत भविष्य में क्या काम आ सकते हैं । इसका जवाब भी इस परिवार के पास है । संस्कृत और प्राकृत तो प्रारंभिक स्टेज है, उसके बाद वे गुजराती, हिन्दी, अंग्रेजी, ज्योतिष, आयुर्वेद, वास्तुशास्त्र, इतिहास, खगोलशास्त्र, नीतिशास्त्र और वैदिक गणित का भी अध्ययन करेंगे । इतना ही नहीं किन्तु राइफल शूटिंग, व्यापार संचालन, हस्तकला, कृषि-पशुपालन, नाट्य, वक्तृत्व इत्यादि की शीक्षा भी इन्हें दी जायेगी ।
उत्तमभाई शाहने 'अभियान' को दी हुई भेंट में कहा था कि, "संस्कृत के बारे में लोगों में गलतफहमी है कि संस्कृत याने धर्म की ही शिक्षा । मेरा अभिप्राय है कि संस्कृत नहीं सीखा हुआ भारतीय अधूरा है । ये सभी बालक हाइटेक जमाने के विषयों का भी अध्ययन करेंगे, लेकिन अपनी मूल भाषा के उपर तो काबू होना ही चाहिए।"
आधुनिक शिक्षण अर्थहीन होने का दावा करते हुए उत्तमभाई ने कहा था कि हम पश्चिम की ओर दौड़ रहे हैं । जिनको हम विकास