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बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - २
३३९ प्रश्न - तुम किस चीज से पूजा करते थे ? उत्तर - केसर और
फुल से । प्रश्न - ये चीजें तुम्हें कहाँ से मिली थीं ? उत्तर - मैं केसर
एक प्याली से लेता था जो मरुदेवी माता के छोटे हाथी पर रखी रहती थी और फूल सिद्धवड़ के घोंसले के
निकट वाले बगीचे से । प्रश्न - यात्रियों की भीड़ में पूजा के लिए तुम मन्दिरमें कैसे
प्रवेश पाते थे ? उत्तर - मैं दोपहर बाद पूजा को जाता था तब भीड़ छंट
जाती थी। प्रश्न - लेकिन तब तो दरवाजे बन्द हो जाते थे, फिर तुम अन्दर
कैसे प्रवेश करते थे ? उत्तर - मैं किंवाड की ताड़ियों
के बीच से जाता था । प्रश्न - मृत्यु के समय तुम्हारे मन में क्या भाव थे ? उत्तर -
आदीश्वर भगवान की पूजा करने का संतोष । प्रश्न - तुम कहते हो कि तुम सिद्धवड़ में रहते थे जो काठियावाड़
में हैं और ढड्ढा बन्धु ५०० मील दूर मारवाड़ में रहते
हैं। तुमने उनके परिवार में जन्म कैसे लिया ।। उत्तर - उन्होंने मुझे निमंत्रण दिया था और मैने उनका निमंत्रण . स्वीकार कर लिया ।
जाँच के दौरान इन बिन्दु पर हमें बालक से यह सुनकर आश्चर्य हुआ कि उसे हमने निमंत्रण दिया था । बालक हमारी तरफ मुड़ा और बोला - 'जब आपने और माँ साहब (वह वृद्ध सम्भ्रांत महिला जो इस प्रिय बालक के कार्य-कलाप को देखने के लिए जीवित नहीं रही थी) मण्डप में सिद्धवड़ के नीचे पूजा कर रहे थे तब मैं छतरी पर बैठा हुआ था । माँ साहब को मैं प्यारा लगा । उन्होंने पूछा कि क्या मैं उनके साथ रहना चाहूँगा ? और मैंने उनको स्वीकारात्मक संकेत कर दिया ।