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बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - २ बकरों को एक दिन अपने घर पर रखा और दूसरे दिन पांजरापोल में दाखिल करा दिये । इस तरह एक बार एक साथ ३६ बकरों को बचाया और धानेरा की पांजरापोल में भेजा। ___ गाय आदि पशुओं की सेवा के लिए बापुलालभाई ने चीमनगढ आदि ३ स्थानों में पांजरापोल की स्थापना करवायी है । कुल ५ पांजरापोल की स्थापना करवाने की उनकी भावना है । पांजरापोल में पशुओं को भी पानी छानकर पिलाया जाता है !!! बापुलालभाई के खेत के पास तालाब में पानी सूख जाने से उसकी मिट्टी को लोग अपने खेतों में डालते थे तब कई जीवों को मरते हुए देखकर उन्होंने अपने बोर के पानी से. तालाब को भरा दिया और मछली आदि जीवों को कोई मार नहीं सके उसके लिए चौकीदार को नियुक्त किया । जीवदया के प्रभाव से उनकी
आँखों के मोतिये शस्त्रक्रिया के बिना ही दूर हो गये !.. म.सा. की प्रेरणा से उन्होंने ६ महिनों तक नमक खाना छोड़ दिया था । एक बार कोई जहरीले जंतुने उनको डंक मारा, मगर नमक त्याग के कारण उनको ज़हरका असर नहीं हुआ । बापुलालभाई की जीवदया एवं तप-त्याग की हार्दिक अनुमोदना । तस्वीर के लिए देखिए पेज नं. 19 के सामने ।
पत्ता : बापुलालभाई मोहनलाल शाह मु.पो. चीमनगढ़, ता. कांकरेज, जि. बनासकांठा, पिन :३८५५५५ (गुजरात)
मैस को बचाने के लिए जीवदयाप्रेमी अशोकभाई शाह का अद्भुत पराक्रम
पूना (महाराष्ट्र) में श्री गोडीजी पार्श्वनाथ जिनालय की सामनेवाली गलीमें एक सुश्रावक रहते हैं । "अशोकभाई जीवदयावाले" के रूप में उनको सभी पहचानते हैं । उनकी धर्मपत्नी एवं दो सुपुत्रोंने दीक्षा अंगीकार की है। दोनों सुपुत्र प.पू.आ.भ. श्रीदोलतसागरसूरीश्वरजी म.सा. के शिष्य