________________
बहुरत्ना वसुंधरा : भाग
२
पिछले ३९ साल से हर शनिवार को पूरे दिन का मौन रखते हैं। पिछले ३८ वर्षों से पाँवमें जूते नहीं पहनते ।
पिछले ३५ वर्षों से आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत अंगीकार किया है । पिछले ४९ वर्षों से हररोज २ सामयिक अचूक करते हैं ।
८ साल से हररोज परिमड्ड का पच्चक्खाण करते हैं । अपने प्राण जाय तो भी झूठ नहीं बोलने की एवं किसी की भी निंदा नहीं करने की प्रतिज्ञा भी करीब ५ साल से उन्हों ने ली है । श्रावक के १२ व्रतों का भी करीब पिछले ७ साल से स्वीकार किया है ।
२५६
एकबार अठ्ठम तप किया था तब भी ३ दिन तक लगातार खड़े खड़े ही साधना की थी ।
बीच में कुछ साल तक ठाम चौविहार अवड्ड एकलठाणा करते थे तब सूर्यास्त से करीब २ घड़ी समय पहले केवल ५-१० मिनिट में ही आहार- पानी ग्रहण कर लेते थे ।
संपूर्ण जीवन निर्व्यसनिता पूर्वक व्यतीत किया है । उपरोक्त प्रकार से साधना करते हुए उनकी आत्मा में कुछ विशिष्ट शक्तियों का प्रादुर्भाव भी हुआ है, जिस के प्रभाव से कई बार सामनेवाले व्यक्ति के मन के विचार भी जान लेते हैं । भूत-प्रेतादिकी बाधा भी दूर कर सकते हैं । कई असाध्य बीमारियाँ भी जप के द्वारा दूर कर सकते हैं ।
आजसे करीब १२ साल पूर्व में ६७ साल की उम्र में उनके शरीर में अर्धांग पक्षाघात के ७ बार अटेक हुए थे फिर भी उन्हों ने डॉक्टर की दवाई नहीं ली । श्रद्धा के बल से देव गुरु की कृपा से ही ठीक हो गये ।
आज ७९ साल की वृद्धावस्था में भी प्रतिदिन प्रात: ५ || बजे पूना की गणेश पेठ में आये हुए सादड़ी सदन जैन स्थानक में तो कभी नाना पेठ में साधना सदन जैन स्थानक में २ घंटे तक एकाग्र चित्त से भक्तामर स्तोत्र पाठ,
प्रार्थना एवं ध्यान करते हैं । उनके जीवन की अप्रमत्तता अनुकरणीय है । पता :: बंसीलालजी उमेदमलजी चोरड़िया
सादडी सदन जैन स्थानक, गणेश पेठ, पूना (महाराष्ट्र) पिन ४११००१ 给