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बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - २
२५५ । का छ 'री' पालक संघ अत्यंत उल्लास से निकाला था ।
· अरविंदभाई के दृष्टांत से प्रेरणा लेकर सभी लोग धर्मनिष्ठ, आचार चुस्त, प्रभुभक्त और गुरुआज्ञापालक बनें यही शुभाभिलाषा ।
पता : अरविंदभाई दोशी १२, आनंद मंगल' बिल्डींग. जांबली गली, बोरीवली (वेस्ट) मुंबई - ४०००९२. फोन : ८०५३२४१
लगातार ३ साल तक अप्रमत्तभाव से खड़े खड़े |
साधना करनेवाले बसौलालजी चोरडिया
पूना (महाराष्ट्र) में रहते हुए सुश्रावक श्री बंसीलालजी उमेदमलजी चोरडिया (उ. व. ७९) की साधना आश्चर्यप्रद है ।
१५ साल की किशोरवय में उन्होंने प्रतिज्ञा ली कि भोजन के समयमें कुछ माँगना नहीं । सहज रूप से जो भी भोजन परोसा जाय उसीमें संतोष रखना। झूठा नहीं छोड़ना । घर में या बाहर गाँव या शादी आदि के प्रसंगों में भी अगर कोई स्वयं कहे कि - 'भोजन करो' तो ही भोजन करना, नहीं तो भूखा रहना !..... ..
२४ साल की उम्र में उन्हों ने ६ साल के लिए - 'गेहुँ की कोई भी वस्तु का भोजन नहीं करना, जुवार या बाजरी की रोटी और दाल ये दो ही द्रव्यों का भोजन करना' ऐसी प्रतिज्ञा लेकर उसका अच्छी तरह पालन किया था ।
पिछले ४२ वर्षों से वे हररोज १ घंटे तक नवकार महामंत्र का जप और ११ घंटे तक नाड़ी बंद कर के ध्यान करते हैं ।
बीच में ३ साल तक लगातार खड़े खड़े अप्रमत्तभाव से साधना की थी।
३ साल तक लगातार ठाम चौविहार एकलठाणा तप किया था।