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बहुरत्ना वसुंधरा : भाग है । जब निर्विकल्प चित्त होता है तभी ही ऐसा अनुभव होता है । मनमें कोई विचार चलता है तब ऐसा अनुभव नहीं होता है ।
तीसरे भवमें महाविदेह क्षेत्रसे मुक्ति प्राप्तिका विशिष्ट संकेत भी कांतिलालभाई को संप्राप्त हुआ है 1
भूमि परीक्षा आदि कुछ विशिष्ट शक्तियोंका विकास भी साधना के आनुसंगिक फल के रूपमें हुआ है, जिसका उपयोग मुख्यतः शासन के कार्यों में ही वे करते हैं ।
कांतिलालभाई की प्रत्यक्ष भेंट ४ साल पूर्व सुरेन्द्रनगर में हुई थी । उसके बाद दि. २४-४-९७ के दिन शंखेश्वर तीर्थमें भी वे मिले थे, तब प्रश्नोत्तरी द्वारा संप्राप्त जानकारी यहाँ प्रस्तुत की गयी है । इसमें से प्रेरणा प्राप्त करके आत्मसाधना के लक्ष्य पूर्वक गुरुगम द्वारा श्री वीतराग परमात्मा का ध्यान, नवकार महामंत्र आदिका सात्त्विक जप एवं विशिष्ट स्तोत्रपाठ द्वारा प्रभुभक्ति के मार्गमें अखंडित रूपसे उत्साह पूर्वक आगे बढते हुए शीघ्र सम्यग्दर्शनादि आत्मिक गुणों को संप्राप्त कर के सभी भव्यात्माएँ मुक्ति के अधिकारी बनें यही शुभाभिलाषा ।
सांसारिक सुख-दुःख के प्रश्नों के लिए ऐसे साधकों की साधनामें विक्षेप नहीं डालना चाहिए । केवल कुतूहल वृत्तिसे प्रश्न पूछकर भी ऐसे साधकों का अमूल्य समय किसीको भी गवाँना नहीं चाहिए । यह विनम्र सूचना सभी के लिए सदैव स्मरणीय है ।
शंखेश्वर तीर्थ में आयोजित अनुमोदना समारोहमें कांतिलालभाई भी पधारे थे । उनकी तस्वीर प्रस्तुत पुस्तकमें पेज नं. 18 के सामने प्रकाशित की गयी है ।
पता : कांतिलालभाई केशवलाल संघवी
४, किशोर सोसायटी
देशल भगतकी वावके पासमें
मु. पो. सुरेन्द्रनगर, पिन : ३६३००१,
फोन : ०२७५२-२३५२३ घर / २५५२५ ओफिस