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बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - २
नामनी नथी लालसा, अने मतलब नथी लगार ॥५॥ होस्पीटलमां हॉसथी, हाजर रहेता हमेश । लेंघो झब्भोने धोळी टोपी, सादो एमनो वेश ॥६॥ मुंबईमां मोटप मले, ने विदेशमां वंचाय । कच्छने गामड़े गामड़े, गुजराते पण गवाय ॥७॥ मुंबई जेवा शहेरमां, कोण कोने पूछे छे ? पण ओलीयो आ अवतारी, सहुना आंसु लूछे छे ॥८॥ धन्य मात पिता कांडागरा गाम, जेणे बाबुभाईने जन्म दीधो । दुःखीयाना दुःख भांगवा, मनुष्य जन्म लीधो ॥९॥ भचाउ तालुको ने वाया सामखीयारी, जंगी मारु गाम । नागजी महाराजनो दीकरो, ने दयाराम मारुं नाम ॥१०॥
अध्यात्मयोगी प.पू. पन्यास प्रवर श्री भद्रंकरविजयजी म.सा. एवं विशिष्ट नवकार साधक पपू. पन्यास प्रवर श्रीअभयसागरजी म.सा. की निश्रामें रहकर उनके मार्गदर्शन के मुताबिक बाबुभाई ने नवकार महामंत्रकी विशिष्ट साधना की है और आज भी उनकी साधना चालु ही है । उसके फल स्वरूपमें उनको अनेक विशिष्ट अनुभूतियाँ भी हुई हैं । इसी के प्रभावसे वे असीम लोक चाहना के बीच भी अनासक्त कर्मयोगी जैसा जीवन जी रहे हैं । उनकी साधना एवं सेवाकी प्रवृत्तियोंमें उनकी धर्मपत्नी शान्ताबहन और सुपुत्र महेन्द्रभाई आदि का भी सुंदर सहयोग है । बाबुभाई की साधना एवं सेवा आदि सद्गुणों की हार्दिक अनुमोदना ।
पता : बाबुभाई मेघजी छेड़ा छेड़ा सदन, दूसरी मंजिल, जे. या रोड, चर्चगेट मुंबई - ४०००२० फोन : २०४२८५०/२८५३१५५ (घरमें)