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तस्वीर परिचय * २८ वर्षकी युवावस्थामें सजोड़े आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत स्वीकार
करनेवाले...! * उपाश्रय में ही रहकर दिन-रात आराधनामें लीन रहनेवाले...! * उपाश्रयमें ही अपने घरसे टिफिन मँगाकर सुपात्र दान एवं साधर्मिक
भक्ति करने के बाद सदा एकाशन व्रत करनेवाले... ! * जब तक दीक्षा अंगीकार न कर सकें तब तक हर प्रकारकी हरी सब्जी
एवं मूंग के सिवाय सभी द्विदल (सूखी सब्जी) के भी त्यागी...! जिनेश्वर भगवंतकी प्रक्षालके लिए पानी भी अपने ही घरका उपयोग
करनेवाले (संपूर्ण रूपेण स्वद्रव्यसे ही अष्टप्रकारी जिनपूजा करनेवाले... !) * भव आलोचना स्वीकार कर एवं ३ वर्षमें बीसस्थानक तप (४२० . उपवास) द्वारा आत्मशुद्धि करनेवाले...! * वढवाण (जिला सुरेन्द्रनगर - गुजरात राज्य) निवासी * रामसंगभाई बनेसंगभाई लींबड (राजपूत) (बहुरत्ना वसुंधरा भाग-१,
दृष्टांत नं. ५) का बहुमान करते हुए श्री चंदुलालभाई गांगजी फेमवाला (कच्छी वीसा ओसवाल देशवासी जैन समाज के मंत्री और अ. भा. अचलगच्छ जैन संघके उपाध्यक्ष)
* ५० से ६५ सालकी उम्र के दौरान (१५ वर्षमें) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ
भगवंत को १ करोड़ बार पंचांग प्रणिपात (खमासमण) करनेवाले...! * ३ वर्ष में सुखासनमें बैठकर १ करोड़ बार प्रभुजीको वंदना करनेवाले...! * उभड़क आसनमें बैठकर ५ वर्ष में १ करोड़ बार प्रभुजी को वंदना
करनेवाले...! * १५ वर्षमें १ करोड़ बार श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवंत का जाप करनेवाले * नवकार महामंत्र (९ पद) एवं 'नमो अरिहंताणं' पदका १ - १ करोड़
बार जाप करनेवाले... ! * वर्षीतप, अठ्ठाइ, एवं नवपदजी की ३५ ओली आदि तपश्चर्या करने वाले * सुश्रावक श्री भोगीलालभाई माणेकचंद महेता (कच्छ-गोधरा निवासी)
(बहुरत्ना वसुंधरा भाग-२, दृष्टांत नं. १०४) का बहुमान करते हुओ नवकार महामंत्र के विशिष्ट साधक श्री चंदुभाई घेटीवाला !
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