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या पारचय
तपस्वी परिचय यावज्जीव ठाम चौविहार अवड्ढ एकाशन के भीष्म अभिग्रहधारी... * दूध-दही-तेल एवं कढा विगईओं के आजीवन त्यागी (सं.२०३१ से)...! * सेवाशील धर्मपत्नी आदि विशाल परिवार युक्त होते हुए भी एकत्व
भावना एवं आत्म साधना के लिए उपाश्रय के पास अकांतमें रहकर स्वयं रसोई बनाकर एकाशन करनेवाले... ! सात क्षेत्रोंमें ५५ लाख रूपयों के दानवीर होते हुए भी स्वयं पादरक्षक
(जूते) के भी त्यागी...! * अपने हाथसे लाइट के बटन को भी नहीं चालु करने के अभिग्रह
धारी... ! अहमदाबाद के हठीसिंग के ५२ जिनालयमें स्वद्रव्यसे नित्य अष्टप्रकारी
पूजा एवं प्रतिदिन ४ सामायिक करनेवाले... ! * प्रतिदिन अरिहंत पदका दश हजार बार जाप एवं २५० लोगस्स के काउस्सग्ग की आराधना करने वाले... १२ व्रतधारी विशिष्ट आत्मसाधक... श्री वनमालीदासभाई जगजीवनभाई भावसार का (बहुरत्ना वसुंधरा भाग-१, दृष्टांत नं. १) बहुमान करते हुए श्रेष्ठीवर्य श्री श्रेणिकभाई कस्तूरभाई शाह।
* प्रति सप्ताह. विशिष्ट चिकित्सकों द्वारा किए हुए वैज्ञानिक परीक्षणों के
साथ निरंतर २११ उपवास करनेवाले तपस्वीरत्न...! * २०७ वें उपवास के दिन श्री शत्रुजय गिरिराज महातीर्थ की पदयात्रा
करनेवाले... ! अभी आजीवन केवल प्रवाही आहार से ही जीवन निर्वाह करने के
संकल्प धारी... ! * कच्छ सुजापुर के (वर्तमान में केराला राज्य के अंतर्गत कलिकट के
निवासी)... * सुश्रावक श्री हीराचंदभाई रतनसी माणेक (हीरा-रतन-माणेक) (बहुरत्ना
वसुंधरा भाग-२, दृष्टांत नं ९९) का बहुमान करते हुए सुश्रावक श्री हीरजीभाई पासुभाई शाह (अहमदाबाद कच्छी समाज के प्रमुख)
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