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तस्वीर परिचय ___सभी आराधक रत्नोंको दिये गये अनुमोदना बहुमान पत्रका पठन करते हुए.
सोलीसीटर श्री हरखचंदभाई कुंवरजी (बाबुभाई) गडा (कस्तूर प्रकाशन ट्रस्ट के ट्रस्टी) (कच्छ बाडा । हाल वरली मुंबई)
आप सोलीसीटर की जिम्मेदारियाँ वहन करते हुए भी २ बार अाई तप, ५०० आयंबिल (अकांतर)... वर्धमान तपकी ४८ ओली, वर्षीतप इत्यादि तपश्चर्या कर रहे हैं । जिनपूजा, नवकारसी - चौविहार आदि आराधना करते हैं । आपने अंतरीक्षजी तीर्थ के केसमें अच्छी मानद सेवा दी है। अनेक संघों के धार्मिक ट्रस्टों के संविधान तैयार करने में अपनी मानद सेवा दी है । अनेक कुटुंबोंमें क्लेश का निवारण अपनी कुशाग्र बुद्धि से किया है। अनुमोदना समारोह के आयोजनमें भी आपने अच्छी सेवा दी है ।
६ बार वर्षीतप... १० बार अठ्ठाई तप... सोलभत्ता (१६ उपवास) श्रेणितप... सिद्धितप... धर्मचक्र तप... कंठाभरण तप... पंच कल्याणक के १२५ उपवास... ९६ जिनके ९६ उपवास... ज्ञानपंचमी... नवपदजी... बीसस्थानक... वर्धमान तपकी १० ओली इत्यादि अनेकविध तपश्चर्या अपनी धर्मपत्नी संघमाता कस्तूरबेन के साथ करनेवाले...!
चतुर्थ व्रत सह श्रावकके १२ व्रतधारी... अनेकबार केशलोच करानेवाले...
प्रतिदिन जिनपूजा, उभयकाल प्रतिक्रमण, श्री सिद्धगिरि एवं श्री सिद्धचक्र जी की आराधना करनेवाले...
सैंकडों साधर्मिकों को श्री सिद्धगिरिजीकी ९९ यात्रा करानेवाले
मुंबई से समेतशिखरजी एवं समेतशिखरजी से पालीताना के छ'री पालक संघों में संघपति बनकर सहयोग देनेवाले संघवी सुश्रावक श्री कुंवरजीभाई (बाबुभाई) जेठाभाई गडा (कच्छ बाडा । हाल वरली मुंबई) का बहुमान करते हुए श्रेष्ठीवर्य श्री अरविंदभाई पन्नालाल शाह (श्री जीवणदास गोडीदास पेढी शंखेश्वर तीर्थ के मेनेजिंग ट्रस्टी)
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