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बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - १
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केशव नामकर सुपरेकर पाटीलकी
अनुमोदनीय आराधना
मालेगाँव (महाराष्ट्र) में केशव नामकर सुपरेकर पाटीलको पिछले १२ सालसे जैन धर्म का रंग लगा है । उन्होंने अाई आदि तपश्चर्याएँ भी की हैं।
प्रायः हर साल हजारों स्पयोंकी बोली बोलकर संवत्सरी के बाद या नूतन वर्षमें जिनालयके द्वारोद्घाटन का लाभ वे लेते हैं ।
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' खीमजीभाई जीवाभाई परमार (दरजी) की
अनुमोदनीय आराधना
__बोरीवली (मुंबई) में चंदावरकर लेनमें रहते हुए खीमजीभाई जीवाभाई परमार (उ. व. ५५) दरजी का व्यवसाय करते हैं । वि. सं. २०४९में परम तपस्वी प.पू. आ. भ. श्री विजयप्रभाकरसूरीश्वरजी म.सा. के चातुर्मासमें उनको जैन धर्म का रंग लगा है । हररोज जिनमंदिरमें जाकर प्रभुदर्शन करना, रात्रिभोजन का त्याग करना, यथाशक्ति क्रोध आदि कषायों का निग्रह करना, जिनवाणी श्रवण करना, इत्यादि आराधना एवं सद्गुणों का उन्होंने विकास किया है । उपरोक्त चातुर्मासमें प्रति महिने वे ५०० रुपयों का गुप्तदान करते थे । वे अचित्त पानी पीते हैं । धार्मिक अध्ययन करते हैं । उन्होंने शत्रुजय आदि तीर्थोंकी यात्रा की है । खीमजीभाई की आराधना की हार्दिक अनुमोदना।