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तस्वीर परिचय प्रस्तुत पुस्तक में व्यावर्णित आराधकरत्नों की अनुमोदना एवं बहुमान हेतु तथा हजारों आत्माओं को ऐसे आराधक रत्नों का प्रत्यक्ष दर्शन-परिचय हो सके ऐसी शुभ भावना से प्रेरित होकर, श्री गुणीजनभक्ति ट्रस्ट (मणिनगर - अहमदाबाद) एवं श्री कस्तूर प्रकाशन ट्रस्ट (मुंबई-वरली) के संयुक्त प्रयत्नों से और सेठ श्री जीवणदास गोड़ीदास पेढी शंखेश्वरजी के सहकार से, अनेक दाताओं के आर्थिक सहयोग से, वि.सं. २०५३में भाद्रपद शुक्ल १५ के दिन शंखेश्वर महातीर्थ में, एक भव्यातिभव्य अनुमोदना बहुमान समारोह आयोजित हुआ था ।
गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्यप्रदेश, तामिलनाडु, कर्णाटक और केराला इन सात राज्यों में से ८७ जितने आराधक रत्न एवं करीब ५००० जितने दर्शनार्थी इस अनुमोदना समारोह में पधारे थे।
शंखेश्वर में चातुर्मास बिराजमान तपस्वीरत्न प.पू.आ.भ. श्री नवरत्नसागरसूरीश्वरजी म.सा., पू. गणिवर्यश्री महोदयसागरजी म.सा., पू. मुनिराज श्री मणिप्रभविजयजी म.सा. आदि अनेक साधु साध्वीजी भगवंतों की पावन निश्रामें एवं श्रेष्ठीवर्य श्री श्रेणिकभाई कस्तूरभाई शाह, श्री किशोरचंदजी वर्धन आदि अनेक महानुभावों की अतिथि विशेष के रूपमें उपस्थिति में यह अभूतपूर्व समारोह करीब ५॥ घंटे तक लगातार चला था, फिर भी किसी को बीचमें से उठने का मन नहीं होता था।
सभी आराधकरत्नों का संक्षिप्त परिचय कराया गया था और अनुमोदना पत्र के साथ रत्नत्रयी के अनेकविध उपकरण आदि द्वारा सभी का विशिष्ट बहुमान किया गया था ।
श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ जिनालय के प्रांगण में व्याख्यान होल के साथ एक विशाल पंडाल में बिराजमान चतुर्विध संघकी विशाल उपस्थिति सामने दी हुई दो तस्वीरों में दृष्टिगोचर होती है ।
कार्यक्रम परिसमाप्त होने पर सभी के मुँह से एक ही प्रकार के हर्षोद्गार थे कि, "ऐसा अपूर्व आयोजन आज पहली बार देखा। सचमुच हमारा शंखेश्वर तीर्थमें आना सफल हो गया ।"
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