________________
३८
बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - १ कलापूर्णसूरीश्वरजी म.सा. की आज्ञावर्तिनी सा. श्री सुभद्रयशाश्रीजी म.सा. एवं उनकी माता म.सा. परम तपस्विनी सा. श्री संयमपूर्णाश्रीजी म.सा. (कि जिन्होंने वर्धमान आयंबिल तपकी ११२ ओलियाँ की हैं, ४० साल से लगातार एकाशन से कम तप नहीं किया है और जो अत्यंत अप्रमत्तता के साथ संयम का पालन कर रहे हैं ) का चातुर्मास हुआ । इनके सत्संग एवं सत्प्रेरणा से संजयभाई में इतना आश्चर्यप्रद परिवर्तन हुआ है।
संजयभाई ने अध्यात्मयोगी प.पू.आ.भ.श्री कलापूर्णसूरीश्वरजी म.सा. के पास भव आलोचना भी कर ली है । दि. ९-१-९७ में पाटणमें संजयभाई की प्रत्यक्ष मुलाकात हुई थी । वे उत्तरोत्तर सविशेष आत्मविकास करते हुए मुक्ति मंझिल की ओर प्रगति करते रहें यही हार्दिक शुभेच्छा ।
पता : संजयभाई डाह्यालालभाई सोनी सोनीवाडो, खेदडा की पोल, मु.पो. पाटण, जि. महेसाणा (उत्तर गुजरात) पिन : ३८४२६५, दूरभाष : ०२७६६ - ३२९४५ (दुकान) २०५९७ (निवास)
प्रतिदिन १८ घंटे जैन धर्म के पुस्तकों को पढनेवाले
शंकरभाई भवानभाई पटेल
__सौराष्ट्र के खाखरेची गाँव के निवासी शंकरभाई पटेल (हाल उ. व. ७०) को सं. २०४७ में खाखरेची गाँवमें चातुर्मास विराजमान अध्यात्मयोगी प.पू. आ.भ. श्री विजय कलापूर्णसूरीश्वरजी म.सा. की आज्ञावर्तिनी पू. सा. श्री वनमालाश्रीजी म.सा. आदिके सत्संगका लाभ मिला ।
चातुर्मास में प्रतिदिन प्रवचन श्रवणसे एवं साध्वीजी भगवंतों का तप त्यागमय आचारनिष्ठ जीवन देखकर उनके हृदयमें जैन धर्म के प्रति अत्यंत अहोभाव उत्पन्न हुआ ।
इससे पूर्व में शंकरभाई ने रामायण, महाभारत, भागवत एवं पुराण