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बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - १ सादगीप्रियता इत्यादि अनेक सद्गुणोंने डो. खान के हृदय को आकर्षित कर लिया एवं वे उनके खास भक्त बन गये । मुनिराज श्री दीपरत्नसागरजी द्वारा अनुवादित ४५ आगम ग्रंथोंका विमोचन भी उपरोक्त आचार्य भगवंत की निश्रामें डो. खान के शुभ हस्त से कराया गया । अन्य भी मांगलिक प्रसंगों में पूज्यश्री उनका बहुमान करवाना चूकते नहीं हैं ।
जैन कुलमें जन्म पाकर भी पैसों के लिए कर्मादान के हिंसक व्यवसाय करनेवाले कुछ श्रावक डॉ. खान के दृष्टांतमें से खास प्रेरणा प्राप्त करके हिंसक व्यवसायों का त्याग करके अपने जीवनको अहिंसामय एवं धर्मप्रधान बनायें यही शुभाभिलाषा ।
उपरोक्त पूज्य आचार्य भगवंतश्री की निश्रामें सं. २०५४ में शंखेश्वर तीर्थमें आयोजित इसी पुस्तक के दृष्टांत पात्रों के अनुमोदना बहुमान समारोहमें डो. खान भी अपनी बेटी जेनीफर के साथ उपस्थित हुए थे । उनकी तस्वीर के लिए देखिए पेज नं. 15 के सामने ।
पता : डो. खान महमदभाई कादरी त्रिकोण बगीचे के सामने, जागृति मोटर्स के पीछे, मीरझापुर, अहमदाबाद (गुजरात) फोन : ५५०३५४३
साध्वीजी भगवंतों के चातुर्मास परिवर्तन का
लाभ लेनेवाले, अनन्य नवकार प्रेमी
रसिकभाई विठ्ठलदास जनसारी ( मोची) नवकार महामंत्र के विशिष्ट साधक, पालितानामें जंबूद्वीप रचना के प्रणेता, सुविशुद्ध संयमी, विद्वद्वर्य प. पू. पंन्यास प्रवर श्री अभयसागरजी म.सा. के नाम से श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन समाजमें शायद ही कोई अपरिचित होगा।
सांसारिक संबंध की अपेक्षा से उनकी बहन म.सा., वात्सल्यमूर्ति, सुसंयमी सा. श्री सुलसाश्रीजीने अपनी वयोवृद्ध माता साध्वीजी के साथ