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• जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार ?
करके अब तुम ऐसे सब नाटक बन्द करो। तुम लोगों ने तीन दिनों में नवकार मंत्र की महिमा के बारे में जो भी भाषण ठोके हैं, वे सब बेतुके हैं। नवकार मंत्र का वर्तमान समय में ऐसा कुछ भी प्रभाव नहीं है, यह बात में स्वयं के अनुभव के आधार पर छाती ठोककर कहता हूँ।" अप्रत्याशित ऐसे शब्द सुनकर व्यवस्थापक भाई तो हिल ही गये । अन्त में वे उस भाई को मेरे पास लाये और पूरी हकीकत बताई।
मुझे भी इस केस का संशोधन करने की जिज्ञासा उत्पन्न हुई। मैंने उस भाई से प्रेमपूर्वक पूछा: " आप मुझे बता सकोगे कि आप ने अब तक किस-किस प्रकार से नवकार की आराधना की और कितने नवकार गिने ?" प्रत्युत्तर में उन भाई ने अपने हाथ बताते हुए मुझे कहा कि "यह देखो, 36 वर्ष से नवकार गिनते-गिनते मेरी अंगुलियों की लकीरें घीसने लगी हैं। प्राचीन हस्तलिखित प्रतों वगैरह में दर्शायी हुई एवं महात्माओं के पास सुनी हुई ऐसी कोई प्रक्रिया शेष नहीं रही जो मैंने 36 वर्षों की आराधना के दौरान न आजमायी हो। अरे, सर्दी में कड़कड़ाती ठन्ड ठण्डे पानी में खड़े रहकर तथा गर्मी में चारों ओर अग्नि के ताप के बीच में रहकर नवकार जप के प्रयोग किये, परन्तु परिणाम शून्य ही आया । मुझे न तो किसी चमत्कार का अनुभव हुआ, न ही मानसिक शांति का भी अनुभव हुआ।
इसीलिए 36 वर्ष पूर्व माँ के पास से जिस शंखेश्वर दादा के समक्ष नवकार सीखा था, उसे वापिस आज दादा को लौटाने के लिए ही मैं आया हूँ। इसलिए मेहरबानी करके नवकार मंत्र की महिमा के बारे में अब और कुछ भी उपदेश मत देना! "
यह सुनकर क्षण भर के लिये तो मैं भी चकित रह गया। मुझे महामन्त्र के प्रभाव के बारे में पूरी-पूरी श्रद्धा थी, तो दूसरी ओर 36 वर्ष की साधना के बाद भी परिणाम शून्यता का, दृष्टान्त भी मेरे सामने चुनौती के रूप में खड़ा था। मैंने मनोमन गुरुदेव की शरण लेकर नवकार का स्मरण किया और दूसरे ही क्षण मेरे मन में एक विचार आया कि,
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