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-जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? बंद हो गया और अब तक हुए उस पाप की घृणा मन में बैठ गयी।
मुझे बाल्यावस्था में दादा और तीर्थ स्वरूप माँ द्वारा समझायी गयी तथा पाठशाला में सीखायी हुई शील धर्म की महिमा और उसकी मर्यादाओं का महत्त्व सही रूप से स्पष्ट तरीके से समझ में आने लगा।
मैं एकदम अच्छी तरह से और जल्दी से खून को बढ़ाकर स्वास्थ्य प्राप्त करुं ऐसे आशय से डॉ. निकलसन, डॉ. रीड और उनके नीचे रहे निष्णात डॉक्टर, सबसे बड़े डॉ. ज्योफ्री नाइट के निर्देशानुसार विटामिन के इंजेक्शन आदि का कोर्स प्रेम से देते थे। फिर भी उनकी धारणा अनुसार मेरा शरीर कवर -अप न होने के कारण वे सोच में पड़कर दूसरे डॉक्टरों की कॉन्फ्रेंस बुलाने आदि की तैयारी करने लगे।
मुझे इस बात का पता चलने पर डॉ. निकलसन से मैंने स्पष्टता पूर्वक बात की कि, "जाति, देश और कुल का रिश्ता नहीं होने के बावजूद आप जो हमदर्दी एवं प्रेम से मेरे लिए सावधानीपूर्वक इलाज की योजना बना रहे हो, और अच्छी से अच्छी शक्तिवर्धक दवाइयां इंजेक्शन देने के बावजूद मेरे शरीर की नजाकत स्थिति तुम्हें कठिनाई में डाल रही है, उसका कारण शायद आपके ध्यान में नहीं भी आये, किंतु मुझे हकीकत में जिस परमात्मा की शक्ति ने बचाया, उस शक्ति के अनुरूप जीवनचर्या के लिए योग्य वातावरण मुझे यहां नहीं मिलता है, उस तनाव के कारण आपकी ओर से मिल रही पूरी सुविधा के बावजूद मैं शारीरिक स्वस्थता प्राप्त नहीं कर पा रहा हूँ। इसलिए मेरे शरीर में शक्ति प्राप्त करने हेतु मुझे घर जाने दो।"
डॉ. निकलसन यह बात सुनकर काफी देर तक विचार में डूबे, किंतु अंत में मेरी बात पर विश्वास कर, कमर तक प्लास्टर चढ़ाकर |एम्ब्यूलेन्स कार में मुझे घर पहुंचाया।
..धर्म संस्कार में रंगी हुई श्राविका पत्नी, किसी भी प्रकार की हलन-चलन न कर सकुं वैसे कमर तक के पक्के प्लास्टर में जकड़े हुए, एकदम अपंग हालात में मुझे देखकर भी जरा भी नाराज या परेशान हुए
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