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- जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? चार बजे उतरकर मेरे कमरे में वापिस आ गया हूँ। मुझे देव-गुरु कृपा से |श्री नवकार मंत्र के रखवाले अजीब तरीके से द्रव्य एवं भाव दोनों दुःख से निकाल चुके हैं। मैं धन्य हूं!'
"जिस प्रकार डूबते हुए को पाटिया हाथ में आता है, उस प्रकार इस म्लेच्छ भूमि पर मेरी आत्मा को वीपरित दिशा से वापिस मोड़नेवाला | श्री नवकार मुझे साथीदार के रूप में मिल गया!!! "
तुरंत दोनों बालिकाओं को साथ लेकर, आनन्द के साथ अस्पताल आकर, मुझे खूब प्रसन्न देखा तो श्राविका वास्तव में भक्ति से गद्गद हो गई। उस समय बातचीत के दौरान बड़ी बेटी से जानने को मिला कि. | श्राविका ने घर में इग्यारह बजे से केसरियाजी के फोटो के समक्ष श्री नवकार महामंत्र का जप किया और शुभ समाचार आये तो ही अन्न पानी लेना, ऐसा अभिग्रह किया था।
तदुपरांत उसने मेरी स्वस्थता और ऑपरेशन की सफलता हेतु व्रत | नियम-तप-जप आदि करने का संकल्प किया था।
मेरे जीवन में अचानक आई छोटी सी बीमारी ने भयंकर रूप लिया और बड़े-बड़े डॉक्टर भी घबराएं, वैसे जोखमी ऑपरेशन का समय आया, वह वास्तव में "तीव्र भाव से किए हुए पाप और पुण्य का फल तुरंत मिलता है' इस शास्त्रीय नियमानुसार यथार्थ था और प्रकृति के संकेत अनुसार द्रव्य ऑपरेशन से अंदर की गंदगी के रूप में मवाद और सड़ी हुई हड्डियाँ आदि दूर हुए एवं ऑपरेशन की पूर्व भूमिका में अत्यन्त तीव्र वेदना में याद आये श्री नवकार महामंत्र के जप और स्मरण से मेरी आंतरिक पाप वासनाओं का भी भाव ऑपरेशन हो गया, जिससे मेरी दृष्टि पर आया हुआ मोह का आवरण दूर होकर, विवेक, बुद्धि का उदय हुआ।
परिणामस्वरूप ऑपरेशन के बाद इलाज हेतु मुझे अस्पताल में रहना पड़ा, किंतु मेरी वृत्तियां, विवेक बुद्धि के उदय से एकदम बदल गई, जिससे आज तक नर्स या स्टॉफ की लेडिज के साथ मात्र मनोरंजन के खातिर हंसकर बातें करने से होता दृष्टि कुशीलता का छुपा पाप सर्वथा
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