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- जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? - परिणामस्वरूप केस की गंभीरता देखकर मेरी श्राविका एवं दो कोमलवय की पुत्रियों का भविष्य के विचार से सभी घबरा गये। डॉ. गिब्सन ने तुरंत लंदन की सबसे बडी "दी हेमरस्मीथ हॉस्पिटल" में फोन | किया, वहां अच्छे से अच्छे उपचार के साधन हैं। उसके बिना रोग का निदान संभव नहीं था। उन्होंने ऐसा लगने से वहां भर्ती करने का शीघ्र | निर्णय लिया, लेकिन पापकर्म बीच में आया। सामने से फोन आया कि | यहाँ अभी पलंग खाली नहीं है, वेटिंग लिस्ट भी बहुत लम्बी थी। अब
क्या? किंतु वापिस पुण्य ने जोर पकड़ा। डॉ. गिब्सन ने प्रेम के कारण हिम्मत न हारते हुए, धैर्य से हॉस्पिटल के सबसे बड़े अधिकारी प्रो. स्केन्डिंग को पूरी बात समझाई। बड़े अधिकारी ने कहा, "बात सही! किंत नियमानुसार सारा कार्य होता है। मैं प्रेम के कारण कानून का भंग नहीं कर सकता।" परन्तु प्रेम के कारण डॉ. गिब्सन की ज्यादा आरजु भरी बात से नरम बने, बड़े अधिकारी ने कहा कि,-"एक उपाय है। कोशिस करके देखो। अपने प्रधानमंत्री के लिए एक रुम खाली है। किंतु उनकी सम्मति के बिना वह रुम नहीं मिल सकता।" ___डॉ. गिब्सन, प्रो. स्केन्डिंग और दूसरे तीन मित्र जो M.P | (MEMBER OF PARLIAMENT) थे, तुरंत ही प्रधानमंत्री हेरोल्ड श्री मेकमिलन से मिले।
प्रधानमंत्री के समक्ष डॉ. गिब्सन ने संक्षेप में सारी बात की और विशेष में कहा कि-"अपने देश में भारत से अभ्यास हेतु आया हुआ, किंतु बहुत बुद्धिमान और अपने अस्पताल की यशस्विता को बढ़ाने वाला, छोटी उम्र के बावजूद बहुत होशियार डॉ. यदि इलाज के अभाव में मर जाये, तो अपने देश की प्रतिष्ठा बिगड़ेगी, इसलिए थोड़ा ध्यान देकर अपने स्पेशियल कमरे की इजाजत दें।"
आज तक ऐसी घटना नहीं घटी थी, कि प्रधानमंत्री के स्पेशियल कमरे के लिए किसी को इजाजत दी गई हो। प्रधानमंत्री कुछ गंभीर बने। आकाश की ओर नजर डाली, किंतु मेरे भाग्य ने साथ दिया। प्रधानमंत्री
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