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-जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? . श्री नमस्कार महामंत्र महिमा गर्भित शास्त्रीय श्लोकार्थ मंत्र संसारसारं, त्रिजगदनुपम, सर्वपापारिमन्त्रं, संसारोच्छेदमन्त्रं, विषयविषहरं, कर्मनिर्मूलमन्त्रम्। मंत्र सिद्धिप्रदानं, शिवसुखजननं, केवलज्ञानमन्त्रं, मंत्रं नमस्कार-मंत्र, जप जप जपितं, जन्मनिर्वाणमन्त्रम्।।
(महामंत्र श्री नवकार संसार में सारभूत मंत्र है, तीन जगत में अनुपम है, सभी पापों का नाश करने वाला है, संसार का उच्छेद करने वाला है, विषय रूपी विष का हरण करने वाला है, कर्म को निर्मूल करने वाला है, सिद्धि को प्राप्त कराने वाला है, शिवसुख का कारण है और केवलज्ञान की प्राप्ति कराने वाला है। ऐसे अद्भुत प्रकार के सामर्थ्यशाली परमेष्ठी मंत्र का हे भव्यों आप बारंबार जाप करो। नवकार महामंत्र का जाप जीव को जन्म-मृत्यु के जंजाल से मुक्त करवाता है।)
नमस्कार अरिहंतने, वासित जेहनुं चित्त, धन्य तेह .तपुण्य ते, जीवित तास पवित्त। आर्तध्यान तस नवि हुए, नवि हुए दुर्गतिवास,
भवक्षय करतां रे समरतां, लहीए सु.त अभ्यास।। 1. में धन्य हूँ कि मुझे अनादि अनंत भव समुद्र में अचिन्त्य चिंतामणि
ऐसा पंच परमेष्ठियों का नमस्कार प्राप्त हुआ। 2. नवकार जिनशासन का सार है, चौदह पूर्व का सम्यग् उद्धार है।
जिसके मन में नवकार स्थिर है, उसको संसार क्या कर सकता है?
अर्थात् कुछ भी करने में समर्थ नहीं है। 3. नवकार सभी श्रेयों में परम श्रेय है, सभी मंगलों में परम मंगल है,
सभी पुण्यों में परम पुण्य है, और सभी फलों में परम सुन्दर फल है। पंच नमस्कार चिंतन मात्र से भी जल एवं अग्नि स्तंभित हो जाते हैं। तथा अरि, मारि, चोर और राजा सम्बंधी घोर उपसर्गों का सम्पूर्ण रूप से नाश होता है।
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