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-जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? दिन तक बीमार हो गयी। घरवालों ने काफी हिम्मत दी- कहने लगे, "जो चीज मिलनी बिल्कुल नामुमकिन थी वो मिल गयी है तो आप इतनी परेशान अब क्यों हैं?"
क्या आप जानते हो कि इतनी महंगी चीज खो जाती है तो क्या मेरे ससुराल के लोग बर्दाश्त कर पाते? क्या वे मुझे माफ कर सकते थे? वह चीज न मिलती तो जीवन मानो एक बोझ बन जाता - जब भी गहनों की बात निकलती तो कई बार सुनना पड़ता। कभी अकेले में अतीत की यह घटना याद आते ही मैं अब भी सिसक उठती हूँ। किन्तु अगले ही पल रोम-रोम पुलकित हो उठता है। महामंत्र नवकार के स्मरण से उसकी शक्ति ने ही इतनी भीड़ के बीच झुकने की शक्ति दी और अप्राप्त चीज प्राप्त हो गयी। मेरी श्रद्धा इतनी बढ़ी कि मानो आपत्ति आयी हो- संयोग प्रतिकूल बने हों या गहरा संकट आया हो, जीवन की हर विपरीत परिस्थिति में महामंत्र नवकार की उपासना ने हिम्मत दी है, शक्ति दी है।
(2) जीवन में संघर्ष में कभी जीने का ख्याल आता है, तो कभी मरने के लिए भी प्रयास हो जाता है। आज भूतकाल की वह बात अब भी पल भर के लिए बेचैन कर देती है। लगातार 10 घंटे महामंत्र नवकार के जाप से बहुत बड़ी दुर्घटना से सही सलामत निकल गये।
9 मार्च, 1975 की बात है। मेरे ससुरजी उस दिन "मन्दिर जाता हूँ। और वहां से डॉ. के पास जाऊँगा," इतना कहकर घर से निकल गये। | मेरी प्रसूति का समय करीब आ रहा था, डॉ. ने 12-13 मार्च कहा था। में अपनी रसोई घर में काम में व्यस्त थी। मेरे पति उन दिनों मुलुण्ड की बैंक में जाते थे सो 12 बजे घर पर खाना खाने आते और 2 बजे वापिस ले जाते। पिताजी आयेंगे बाद में खाना खायेंगे,ऐसा सोचकर इंतजार करते रहे, पर डेढ़ बजे तक नहीं आये तो मन्दिर में और बाद में डॉ. के पास तलाश करने गये। डॉ. ने बताया, 'वो तो आये नहीं भला कहां चले गये होंगे? घड़ी में 2 बजे, 3 बजे, सब बेचैन हो गये। कहां पूछना? कहां
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