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-गिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? साथ एकदम अड़ा दिया। अकस्मात होने में जरा भी कसर नहीं थी, फिर भी मैं तथा मोटर साईकिल सुरक्षित रहे। तब से मेरी श्रद्धा नवकार मंत्र पर अत्यधिक बढ़ गई।" उस युवक की इस घटना को सुनकर मेरी आत्मा की श्रद्धा नवकार पर अधिक रूप से स्थिर हो गई। महामंत्र के | जाप के साथ शुद्ध ब्रह्मचर्य पालन एवं अटल विश्वास होना परम आवश्यक है। . लेखक-रोशनलालजी म.सा. के शिष्य प्रेममुनि म.सा.
महामंत्र से मैंने पाया। वि.सं. 2030 की बात है कि जब में प्रथम जैन श्रमण के निकट में आया। वे श्रमण हैं कविरत्न श्रद्धेय श्री केवलमुनिजी महाराजाजिनकी कृपा दृष्टि से मुझे महामंत्र जैसा मंत्र सीखने को मिला। साथ ही मुनिप्रवर से अन्य बातें भी मिलीं। कंठस्थ होने के पश्चात् मुनि श्री ने मुझे नित्य स्मरण करने की प्रेरणा भी दी।
मुनि श्री अपना चातुर्मास पूर्ण करके विहार कर चुके। उसी दिन से | मेरी आस्था पूर्ण रूप से नवकार मंत्र पर बन चुकी थी। ऐसे तो जाति से जैन नहीं है, किन्तु बचपन से ही मेरी जैनधर्म के प्रति अनन्य रुचि व आस्था रही है। यह मैं अपना सौभाग्य ही मानूंगा। सात-आठ माह तक मुझे किसी भी जैन सन्तों का सानिध्य नहीं मिला। किन्तु नवकार मंत्र का जाप वैसे ही चल रहा था, जैसे कि श्रद्धेय कवि श्री ने नियम करवाया था।
सं. 2031 का वर्षावास हमारे नगर जालना (महाराष्ट्र) में पूज्य गुरुदेव श्री प्रतापमलजी महाराज एवं मरुधरभूषण श्रमणसंघीय प्रवर्तक गुरुदेव श्री रमेशमुनिजी महाराज आदि ठाणा 11 का वर्षावास था। यह जेन श्रमण से मेरा द्वितीय संपर्क था, किन्तु सम्पर्क के पश्चात् भी मुझे मुनियों के नाम याद नहीं थे। तब मैंने घर जाकर अपनी धर्ममाता को अ.सौ. जड़ाव कुंवरबाई गोलेच्छा से पूछा। उन्होंने मुझे गुरुदेव का पूर्ण परिचय बतलाया। तब से मेरा मुनिराजों से सम्पर्क अत्यधिक रहा।
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