SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 385
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ -जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? - समय अंतर में से अपने आप ऐसे ऐसे ब्रह्म वाक्य निकलते हैं कि स्वयं को भी बाद में आश्चर्य होता है। एक ऐसा प्रयोग भी है कि जो मंत्र बोलकर मुंह पर हाथ घुमा दिया जाये तो धारा प्रवाह एक ही विषय पर महिनों बोलने पर भी ज्ञान की अटूट धारा बहती रहती है। चिंतन शक्ति और स्मृति की शक्ति खुल जाती है।" पूज्य उपकारी गुरुदेव के कर कमलों से प्रतिष्ठाएं-अंजनशलाकाएं, उपधान तपोत्सव, दीक्षा महोत्सव, संघमाला और महापूजादि के कार्यक्रम होते थे। सभी कार्य में गुरुदेव को सफलता ही मिलती थी। एक मात्र कारण था, "अरिहंते शरणं पवज्जामि" का प्रतिदिन क्रियात्मक रूप से ध्यान और चित्ताकाश में नमस्कार मंत्र का भावनात्मक रूप में स्मरण। पूज्य उपकारी गुरुदेव ने अनेक स्थानों के संघ के आपसी विवादों को सुलझा दिया। क्लेश मिटा दिया। प्रेम की गंगा बहा दी। प्रतिवर्ष गुरुदेव चातुर्मास के दौरान सावन सुदि 7 से पूर्णिमा तक में नमस्कार मंत्र की सामूहिक साधना कराते थे। जिसके प्रभाव से चातुर्मास ऐतिहासिक हो जाता था। पूज्य उपकारी गुरुदेव ने नमस्कार महामंत्र नामक एक अतिसुन्दर पुस्तक का लेखन किया है, जिसमें शास्त्रीय प्रमाण के आधार पर महत्त्वपूर्ण विवेचन किया है। इस पूरी पुस्तक को मात्र 3 दिन की अल्पावधि में लिख दिया था। यह भी महामंत्र का ही प्रभाव जानना चाहिये। पूज्य उपकारी गुरुदेव के पास जो भी श्रद्धालु अपनी समस्या लाते थे, या दुःख निवारण की बात करते थे तो गुरुदेव नमस्कार महामंत्र पर ऐसा प्रयोग बताते थे कि स्वप्न में संकेत होगा या किस अवधि तक में काम होगा, आदि मन-मनोरथ पूरक बातें बता देते थे और जाप करके खीर का एकासना करने का उपदेश देते थे। पूज्य उपकारी गुरुदेव रवि पुष्य और गुरु पुष्य में खड़े ध्यान करके महामंत्र का प्रयोग भी करते थे। जिससे आसुरी शक्ति के प्रकोप से मुक्त 358
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy