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-जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? मंत्र में स्वयं आभा है। जब तुम नवकार मंत्र के साथ तादात्म्य अनुभव करने लगोगे, तब तुम्हारे रोम-रोम में दिव्य शक्ति का संचार होगा और यही तुम्हारे गर्भाधान के लिए निमित्त रूप बनके रहेगा।"
__ सुनन्दाबेन नवकार मंत्र के विधि-विधान हेतु सम्पूर्ण तैयारी और तपश्चर्या हाथ में लेने के संकल्प के साथ आये थे। इस कारण उन्हें समझाया कि सर्वप्रथम आपको, नवकार मंत्र के लिए अखण्ड शुद्ध श्रद्धा की जरूरत होगी।
साधना प्रारंभ करने हेतु उनके घर की तीसरी मंजिल के एकान्त में पूर्व दिशा की खिड़की के पास बाजोट रखकर महावीर स्वामी की मूर्ति का प्रतिष्ठापन किया, जिससे मन की एकाग्रता बनी रहे। उनकी शक्ति को ध्यान में रखते हुए निश्चित माह में प्रतिदिन निश्चित संख्या में नवकार गिनने का कार्यक्रम तैयार किया। नवकार मंत्र के जाप के समय उसकी गिनती में एकाग्रता का खंडन नहीं हो, इसलिए उन्हें मणके और दो पेटियां दीं। उन्हें प्रारंभ में देह शुद्धि, फिर मन की शुद्धि के लिए, आने वाले विचार प्रवाह को रोकने की प्रक्रिया सिखायी। सुनन्दाबेन ने लम्बे समय में सवा लाख नवकार महामंत्र का कठिन और तपश्चर्या युक्त कार्य पूर्ण किया। उन्होंने अन्त में जिनमन्दिर जाकर शुद्ध भाव से नवकार मंत्र अर्पित किया। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि दो महिने बाद सुनंदाबेन को हर्ष के आंसु के साथ पता चला कि उसे दो मास का गर्भ है। उन्होंने अपने हर्ष उत्साह में पहले दिन नवकार महामंत्र की पूजा और समूह पाठ और दूसरे दिन प्रीतिभोज रखा।
मंत्रों की अमोघ अनंत शक्ति में श्रद्धा का बल महत्त्वपूर्ण है। जहां तर्क शक्ति, मानवीय शक्ति निरर्थक बन जाती है, वहां मंत्र की दिव्य शक्ति कामयाब होती है, उसके सैंकड़ों उदाहरण हैं। वालिया लूटेरा केवल," मरा-मरा" बोल सकता था, मगर इस प्रकार वह राम का नाम श्रद्धा से लेने से वाल्मिकी ऋषि बन गये। संत तुकाराम जैसे अनेक हैं। अहमदाबाद में गई पीढ़ी का आदमी मिल मजदूर था। एक बार वापिस
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