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-जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? उल्लेखनीय दृष्टान्त ताजा होने से बताता हूँ। वह पति-पत्नी 35 से 40 वर्ष की उम्र में पहुंचे हैं। उनको संतान नहीं थी। मेडीकल आदमी, इसलिए भांति-भांति के एवं तरह तरह के उपचार करवाने में उन्होंने कोई कमी नहीं रखी। उनकी बातों से समझ में आया कि कई प्रकार के संतान प्राप्ति के इलाजों के पीछे उन्होंने हजारों रूपये पानी कर डाले हैं और साथ साथ में शरीर को भी भारी नुकसान पहुंचाया है।
हमारा एक बार शंखेश्वर यात्रा में मिलन हो गया। वे मुझे नवकार के उपासक के रूप में जानते थे। संतान प्राप्ति की बात निकलते मैंने उन्हें बताया कि सही इलाज आपके स्वयं के पास पड़ा है। फिर भी उपचार हेतु आप बाहर भटक रहे हो।
नवकार महामंत्र से उनके पहचान वालों को हुए फायदों की बातों से वे ज्यादा प्रभावित हुए। उन्होंने अपने लिये सवा लाख नवकार महामंत्र के पुरश्चरण के लिए मुझे एक लाख रुपये देने की पेशकश की। उस समय मुझे डॉक्टर सुमनभाई के मन की कमजोरी की प्रतीति हुई। ____ पहली बात यह थी कि वे समझते थे कि पैसों से सबकुछ हो सकता है। ईश्वर की कृपाशक्ति प्राप्त करने के लिए धन की नहीं, श्रद्धा की आवश्यकता होती है। उसके बाद मन की शुद्धि और ध्यान-एकाग्रता चाहिए। मैंने उनके हदय में बैठे उस तरह विस्तार से बात की। इस सवा लाख मंत्रों को संभालें किस प्रकार? यह मुश्किल है। वे निराश-हताश होकर अलग हुए।
मैंने दो माह के बाद उनकी धर्मपत्नी अ. सौ. सुनंदाबेन को बताया कि, 'इस नियमों एवं विधि-विधानों की शर्तों का पालन कर बहिनें भी नवकार मंत्र की साधना जरूर कर सकती हैं। इतना ही नहीं, किन्तु बहिनों को भी भाइयों जैसा और जितना ही फल अवश्य प्राप्त हो सकता है।
ईश्वर के मनुष्य पर इतने उपकार हैं कि मनुष्य इसका बदला किसी भी प्रकार से नहीं चुका सकता है। यहाँ तुम्हारे धन खर्च करके कुछ प्राप्त करने की इच्छा हो तो वह संभव नहीं हो सकती है। नवकार
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