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• जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार ?
में वहाँ से कुएं में गिरने की बजाय पुनः पाल पर फेंक दिया गया। मैं खड़ा होकर दुबारा कोई प्रयास करूं, उससे पहले दूर से बड़े लड़के आ गये, मुझे कुएं की पाल से दूर खींच ले गये और ऐसा गलत कार्य करने के कारण उपालम्भ देने लगे ।
मैं भी इस घटना के बाद घबरा गया था। उस समय मेरी उम्र छोटी थी। उस कारण ज्यादा सोच नहीं सका। परन्तु जैसे-जैसे उम्र बढ़ती गयी वैसे-वैसे मुझे मेरी मूर्खता याद आने पर मैं भय से कांप उठता था।
मैं ऐसा कोई श्रद्धालु आदमी नहीं कि वैज्ञानिक कसौटी किये बिना किसी बात को स्वीकार कर लूं। मैं ऐसे सरल स्वभाव का आदमी नहीं हूँ। परन्तु इस घटना का मैंने नये-नये रूपों से पृथक्करण किया। आज भी मुझे समझ में नहीं आता कि जिस समय हवा नहीं थी, उस समय मैं कुएं में कूदा तब अचानक तेज हवा का झोंका किस प्रकार आया? 20 से 25 किलो वजन का मैं किस प्रकार वापिस कुएं की पाल पर गिर गया ? मेरे कूदने के समय ही एकाएक हवा का जोरदार झोंका कहाँ से आया? यदि हवा का तूफान हो तो उसके बाद वातावरण यथावत् कैसे हो गया? मुझे कुछ समझ में नहीं आता, ऐसा अनुभव किससे हुआ? ऐसे अनेक तर्क मैंने किये, परन्तु मुझे कुछ समझ में नहीं आया। भगवान महावीर के बारे में मैंने कई तर्क किये हैं। परन्तु मेरी इस चमत्कारिक घटना के बारे में मैं कोई तर्क नहीं कर सका। अब मैं इसे मेरे नवकार मंत्र के चमत्कार के अलावा कुछ नहीं मानता हूँ ।
(2) नाग डंक से बचाः- जीवन और मृत्यु के बीच तीन इन्च का अंतर था। तब मुझ में अद्भुत हिम्मत कहाँ से आयी ? जिस उम्र में शीघ्र निर्णय नहीं कर सके, उस उम्र में एक क्षण का भी विलम्ब किये बिना चातुर्मास के दिनों में रास्ते के बीच फण फैलाकर डोलते नागराज पर से मैं किस प्रकार कूद गया? यह बात आज भी मुझे समझ में नहीं आती है।
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मैं चातुर्मास में वर्षा के भरपूर दिनों में वर्षा के पानी से भरे तालाब को देखने के लिए अधीर बना ।
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