________________
- जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार?
लकड़ी जरा भी हिली नहीं।
संसारी अवस्था में धोराजी के अमीर श्री मणिलाल झीणाभाई वोरा और मैं जैसलमेर की यात्रा पर गये थे। दूसरे एक मारवाड़ी गृहस्थ भी हमारे साथ ट्रक में थे। उनके साथ बैठने की बाबत में मणिभाई का झगड़ा हो गया। रात को 12 बजे ट्रक खड़ा रखके वह मारवाड़ी मणिभाई
को पुलिस चौकी ले गये। मैं भी साथ गया। पुलिस ने मणिभाई की |पिटाई कर खून से लथपथ कर दिया। फिर भी दुबारा सौ फीट लम्बी लकड़ी से मारने की शुरूआत कर रहे थे। उस समय मैंने उस लकड़ी के छोर को स्पर्श कर मन में नवकार मंत्र का स्मरण शुरू किया। पुलिस ने लकड़ी को हिलाने का दस बार प्रयास किया, किन्तु नवकार मंत्र के प्रभाव से लकड़ी जरा भी नहीं हिली। आखिर में वे थके। उन्होंने मुझसे और मणिभाई से माफी मांगी।
भूत दूर हुआ सं. 2005 के समी गांव में चातुर्मास के दौरान हमारे समुदाय में शुभंकरविजयजी नाम के एक साधु को भूत की तकलीफ थी। जब भूत उनके शरीर में प्रवेश करता, तब उनमें बहुत शक्ति आ जाती थी। दस आदमी मिलकर उनको अलग कमरे में दाखिल कर पाते। इस भूत को निकालने हेतु पाटण से एक गोरजी (यति) महाराज को बुलाया था। गोरजी ने कहा कि भूत जोरदार है, पांच सौ रुपये लूंगा। किन्तु मैं आसोज माह के नवरात्रि के त्यौहार में आउंगा। इस कारण हमने उनका उपचार आजमाना बन्द किया। मेरे गुरु म. श्री विनयचन्द्रजी को उस भूत ने एक बार पाटिया मारा। वह दृश्य मेरे से नहीं देखा गया। मैंने गुरु महाराज से आज्ञा मांगी। मन में श्री नवकार मंत्र का स्मरण किया और शुभंकरविजयजी के कमरे में गया और उनकी ठीक-ठीक पिटाई की। श्री नवकार महामंत्र के प्रभाव से वह भूत उसी समय मुनि श्री के शरीर में से बाहर निकल
273