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-जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? - एक बार बैलों की पीठ पर सामान रखकर बेचने वाले चलते फिरते कुछ व्यापारी बाहर गांव से आये। उनके साथ आये हुए गेहूं की आवश्यकता होने से देख रहा था। एक सिपाही ने आकर मुझे कहा, "तुमको थानेदार बुलाते हैं।" सिपाही साधारण ड्रेस में था। मैंने कहा,"अभी मैं काम कर रहा हूँ, इसलिए एक घण्टे बाद आऊँगा।" फिर तो मैं बात ही भूल गया। पन्द्रह-बीस दिन बाद बजाणा. मजिस्ट्रेट कोर्ट की
ओर से समन्स आया कि तुम पुलिस के कहने के बावजूद थाने नहीं गये, इसलिए तुम्हारे पर पुलिस केस हुआ है। तुमको लिखित दिनांक को कोर्ट में हाजिर होना है। राई से पहाड़ बन गया। मैंने तय समय पर बारह नवकार गिनकर कोर्ट के दरवाजे में प्रवेश किया। बहस शुरू हुई। नाम, गांव, जाति वगैरह लिखा। फिर पूछा, 'धन्धा क्या?' मैंने कहा, "मेडिकल प्रेक्टिश्नर।" और साहब ने हाथ में से पैन नीचे रखा और पूछा, "तुम गुनाह कबूल करते हो?" मैंने कहा, "साहब मैंने कोई गुनाह किया ही नहीं है।" फिर दस-बारह लाइनें लिख कर मुझे कहा, "तुम्हें निर्दोष घोषित किया जाता है।" पुलिस प्रोसिक्युटर को कहा कि "इनका व्यवसाय रजिस्टर्ड वैद्य के रूप में है। ये रोगी की जांच करते हों, रोगी के घर जाने की जल्दी में हों तो थाने में कैसे हाजिर हो सकते हैं? इतना ही नहीं तुमने भी कानूनी नोटिस नहीं दिया।" इस प्रकार मुझे निर्दोष घोषित |किया। । ऐसे छोटे-बड़े अनेक चमत्कारों ने मेरे हदय में श्री नवकार मंत्र के प्रति श्रद्धा को दृढ बनाया है। परिणाम स्वरूप आज सं. 2041 के प्रारंभ में मैंने 71 वर्ष की उम्र में 81 लाख नवकार का जाप पूर्ण किया है। एक करोड़ जाप पूर्ण करने की भावना शासनदेव पूर्ण करें यही प्रार्थना।
लेखक - वैद्यराज श्री कांतिलाल देवचन्द शाह मु.पो. झींझुवाड़ा वाया - विरमगाम पिन नं. - 382755
= गले की गांठ-गायब हुई
चूड़ा (सौराष्ट्र) के अ. सौ. समजुबेन खीमजी भाई पटेल के गले में
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