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• जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार?
गये। थोड़े समय बाद मैंने आँखें खोलीं तो मेरे आश्चर्य के बीच में वहाँ मेरी फुफी ने बताया कि, हम तो पालीताणा दर्शन करने जाने वाले थे, रास्ते में तुम्हारे फुफा ने कहा कि "चलो शंखेश्वर जाकर आयें। संघ के भी दर्शन होंगे। रास्ते में विचार बदलते हम शंखेश्वर आये हैं। अब कल पालीताणा जायेंगे।" ऐसा चमत्कार देखकर मेरे आनन्द का पार नहीं रहा । बच्ची को फुफी के साथ पालीताणा भेज दिया। वहां दादा के दर्शन करने के बाद वह घर भी पहुंच गयी। वास्तव में नवकार है, वहां चमत्कार अवश्य होता है।
यदि यह स्मरण अविरत रूप से चालु रहे तो वास्तव में आत्मा का उद्धार हुए बिना नहीं रहेगा।
लेखिका - श्री रंजनबेन आणन्दजी गडा (गांव - कच्छ खारुआ वाले) हाल डोंबीवली (पूर्व) जिला- थाणा,
अनिष्टों को रोकने वाला महामंत्र नवकार
अनुयोगाचार्य पू. श्री खांतिविजयजी म.सा. का झींझुवाडा चातुर्मास वि.सं. 1983-84 में होने से दस वर्ष की उम्र में उनका समागम हुआ। बचपन में माता-पिता का स्वर्गवास होने से पिताजी के बड़े भाई वैद्य पानाचन्दभाईजी की छाया में उनके सभी धर्म संस्कारों के साथ नवकार मंत्र के प्रति अपूर्व श्रद्धा भेंट में मिली ।
पू. सुवहित मुनिवरों के अक्सर चातुर्मास तथा आचार्यों और उनके परिवार का जाना आना होने के कारण नवकार मंत्र के उपर प्रवचन, नवकार मंत्र की समूह आराधना एवं अति उत्तम साहित्य के वांचन, श्रवण, और मनन से श्री नवकार मंत्र के प्रति अविचल प्रेम जगा । जैसे जैसे मेरी नवकार मंत्र के जाप की मात्रा बढ़ती गयी वैसे वैसे नवकार मंत्र का अदृश्य बल प्रकट होने लगा। जिसके कारण जीवन का प्रत्येक पल जैसे नवकार के साथ बीत रहा है।
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