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•जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार ?
व्यंतरिक मार गायब हो गई
बड़ौदा जिले में बोड़ेली तीर्थ के आसपास 500 गांवों में अहिंसा का प्रचार हुआ है। इसमें बड़ौदा एवं पंचमहाल इन दोनो जिलों में 50 मील के क्षेत्र में परमार क्षत्रिय जैन धर्म का पालन करने लगे हैं। नवकार मंत्र का स्मरण करने लगे हैं। हमने इस क्षेत्र में 12 वर्ष विचरण किया, जिसके परिणाम स्वरूप अनेक लोगों ने व्यसन त्याग दिये हैं।
इसमें एक गांव डुम (पंचमहाल) में हजार घर की बस्ती है। जिसमें दामाभाई भालसिंह नाम का एक परिवार रहता है। उसमें एक भाई को व्यंतरिक मार पड़ती थी, किंतु कौन मारता है, वह दिखाई नहीं देता था । बहुत समय तक ऐसा होता रहा। वह शांति के लिए भोपों के पास दोरे धागे, कामण, टूमण सभी करा चुके थे, किंतु शांति नहीं मिली। इस दौरान हम उनके गांव गये । उस समय में मुनि अवस्था में ही था। आचार्य पदवी नहीं हुई थी। घर में शांति हो, इस निमित्त से हमारी निश्रा में घर में पार्श्वनाथ पंच कल्याणक पूजा का आयोजन किया। अपने सगे-सम्बंधियों को आसपास के गांवो से आमंत्रण देकर बुलाया। भजन मंडलियां बुलाई। आये हुए मेहमानों एवं गांब के लोगों को खाना खिलाया। फिर सभी विदा हुए। हमने विहार नहीं किया था इसलिए दामाभाई का परिवार साथ में | होकर हमारे पास आया। दामाभाई, गणपतभाई, मोहनभाई, आदि ने जिस कमरे में व्यंतरिक मार पड़ती थी, वह भी एक ही भाई को, वगैरह जानकारी मेरे सामने प्रस्तुत की। मैंने उन्हें नवकार महामंत्र की महिमा बताकर कहा, "शुद्ध नवकार आता हो तो मेरे सामने बोलो। " गणपतभाई ने बोल दिया।
उनको लक्ष्य करके मैंने कहा, "तुम स्नान करके शुद्ध कपड़े पहनकर जिस कमरे में व्यंतरिक मार पड़ती है, उसमें धूप-दीप के साथ नवकार मंत्र का जाप करो।" इस प्रकार करने से एक ही महिने में शांति हो गई। सभी सदस्य आकर मुझे मिले और बात की कि, " आपका बहुत
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