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- जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार?
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आपने गुरु आज्ञा से धार्मिक प्रसंगों के मुहूर्त निकालने के लिए। मुहूर्त- ज्योतिष का भी तलस्पर्शी अध्ययन किया है और कई मांगलिक कार्य आपके दिए हुए शुभ मुहूतों में सम्पन्न हुए हैं और हो रहे हैं।
शासन प्रभावना एवं साहित्य सृजन के साथ-साथ आपने | वर्धमान आयबिल तप की 36 ओलियां, अट्राई, नवाई आदि तप भी। किए हैं।
आपकी निश्रा में कुल 3 बार शत्रुजय महातीर्थ की सामूहिक | 99 यात्राएं एवं सर्वप्रथम बार गिरनारजी महातीर्थ की सामूहिक 99 यात्रा का शानदार आयोजन भी सं. 2051 में हुआ था।
आपके प्रवचनों से प्रभावित होकर कई गांवों-घरों में वैर विरोध । का विसर्जन एवं मैत्री भावना के सृजन के पावन प्रसंग घटित हुए हैं।
सं. 2053 में आपकी निश्रा में शंखेश्वर तीर्थ में चातुर्मास के । दौरान 'बहुरत्ना वसुंधरा' किताब में वर्णित भारतभर के विशिष्ट आराधक । रत्नों का बहुमान का कार्यक्रम करीब साढ़े पांच घंटों तक चला था,
जिसमें अनेक अग्रणी श्रावकों के साथ हजारों भाविकों में उपस्थित । । रहकर अनुमोदना का लाभ लिया था।
®आपकी शिष्य सम्पत्ति में 1. तेजस्वी वक्ता पू.मुनि राज श्री || देवरत्न सागरजी म.सा. 2. स्वाध्याय प्रेमी पू.मुनिराज श्री धर्मरत्नसागरजी । |: म.सा. 3. पू.तपस्वी मुनिराज श्री कंचनसागरजी म.सा. 4. सेवाभावी । पू.मुनिराजश्री अभ्युदयसागरजी म.सा.एवं 5. ज्ञानप्रेमी पू.मुनिराज श्री । भक्तिरत्नसागरजी म.सा. (प्रशिष्य) आपको आराधना, साधना एवं शासन ॥ प्रभावना में सुन्दर सहयोग दे रहे हैं।
आपने हजारों किलोमीटर का विहार करके निम्नोक्त स्थलों को ।। | चातुर्मास से लाभान्वित किया है।
1.बिदड़ा-(कच्छ) 2. बाड़मेर (राजस्थान) 3. कोठारा तीर्थ । (कच्छ), 4. घाटकोपर (मुम्बई) 5. मोटा आसंबिया (कच्छ) 6. देवपुर
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