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-जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? वाले को ज्यादा पैसे की लालच दी और वे उसी टैक्सी में बैठ गये। टैक्सी पूरी गति से जाने लगी। वह भाई,"माल तो जायेगा साथ में जान भी जायेगी" ऐसा सोचकर श्रद्धापूर्वक नवकार गिनने लगे। ___अंत में टैक्सी पूरे जोश में विपरीत चलती हुई सीधी झवेरी बाजार में जिस दुकान पर उस भाई को जाना था वहां आई, और ड्राईवर बोला, "पेट्रोल खत्म!" वह भाई तो थैला लेकर, उतरकर सीधे दुकान में पहुंच गये। ड्राईवर गुंडों के पास पैसे मांग रहा था। किंतु गुंडों ने उस दुकान से बुलाकर उस भाई से माफी मांगी और टैक्सी का किराया मांगा। भाई समझे, मैं बच गया यह काफी है। ऐसा सोचकर गुंडों को फिर से ऐसा न करने की प्रतिज्ञा के साथ किराया देकर रवाना किया। "कार कमाल से बची"
बैंगलौर से साउथ इंडिया फ्लोर मिल वाले पू.आ. श्री भद्रंकरसूरि जी म. सा. के दर्शन करने मैसूर जा रहे थे। वे रास्ते में गाड़ी में बैठे-बैठे नवकार गिन रहे थे। अचानक कर्म संयोग से गाड़ी उलटी हो गई। फिर भी उसमें किसी को कोई भी पीड़ा नहीं हुई।
लेखक - प.पू. आ. श्री विजय वारिषेण सूरिश्वरजी म.सा.
० जुल्मखोर झुक गये ० प.पू. बन्धुत्रिपुटी के उपदेश से सायन संघ के उपक्रम से जूनागढ़ पोरबंदर में अतिवृष्टि के कारण निराधार बने गांवो के लोगों को सहायता दिये जाने का निर्णय किया। सायन माटुंगा के 10 भाई पृ. वजूचाचा के निर्देशन में दि. 3.7.83 को राजकोट की ओर रवाना हुए। हमने आवश्यक वस्तुओं की सूची तैयार की। स्थानीय तथा सेवाभावी संस्थाओं के मुख्य व्यक्तियों की मदद से प्रत्येक परिवार को वह सामान पहुंचाया। हम जूनागढ़ में तीन दिन वितरण कर चौथे दिन पोरबंदर पहुंचे। पोरबंदर के बारे में सुना था कि वहां गुंडागिरी ज्यादा है। इसलिए थोड़ी सावधानी जरूरी थी। हम पोरबंदर शाम को चार बजे होटल में पहुंचे। होटल का
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